यूपी में चुनावी शंखनाद से पहले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच मुलाकात के बाद सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने चाचा से गठबंधन कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। शिवपाल यादव से मुलाकात के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ट्वीट कर लिखा कि छोटे दलों से गठबंधन रणनीति के तहत आज शिवपाल यादव की पार्टी से भी गठबंधन किया गया. बता दें कि सपा से अलग होकर शिवपाल यादव 3 साल पहले प्रगतिशील समाज पार्टी (लोहिया) का गठन किया था।
जिस तरह से अखिलेश यादव सूबे के छोटे दलों को अपने साथ लेकर जातीय समीकरण को साधा है ,ऐसे गया है कि बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गई है। इस गठबंधन का आगे क्या परिणाम होंगे देखना होगा लेकिन प्रदेश में अबतक का यह सबसे बड़ा गठबंधन है।
समाजवादी पार्टी इस बार चुनाव में छोटे क्षेत्रिय दलों के साथ गठबंधन बनाकर बीजेपी को मात देने की तैयारी में जुटी है। आइए जानते हैं, अब तक किन दलों के साथ अखिलेश यादव का गठबंधन फाइनल हो गया है।
राष्ट्रीय लोकदल के वर्तमान में जयंत चौधरी अध्यक्ष है। समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े सहयोगी दल के रूप में इस बार रालोद का ही नाम है। रालोद की पकड़ पश्चिमी यूपी के किसान और जाट वोटरों के बीच है। इसी महीने अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने मेरठ में रैली कर गठबंधन का ऐलान किया था।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर हैं। अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले ओम प्रकाश राजभर की पकड़ पूर्वी यूपी के कई जिलों में है। राजभर इन दिनों अखिलेश यादव के साथ अक्सर रैलियों में नजर आते हैं। कृष्णा पटेल की पार्टी अपना दल से भी अखिलेश यादव ने गठबंधन किया है। अपना दल का प्रभाव प्रतापगढ़ और मिर्जापुर इलाके में है। बताया जा रहा है कि इस बार कृष्णा पटेल की बेटी पल्लवी पटेल चुनाव लड़ सकती है।
जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय चौहान हैं। यह पार्टी पूर्वी यूपी में खासा पकड़ रखती है। पार्टी ने पिछले दिनों लखनऊ में रैली कर शक्ति प्रदर्शन भी किया था। पूर्वी यूपी के करीब 20 सीटों पर जनवादी पार्टी सोशलिस्ट का असर है। बसपा के कद्दावर नेता रहे केशव मौर्य ने 2007 में महान दल का गठन किया था। पश्चिमी यूपी के कई जिलों में महान दल का अच्छा खासा असर है। हालांकि अखिलेश यादव ने अभी तक महान दल के नेता के साथ कोई बड़ी रैली नहीं की है।