आंकड़ों के हिसाब से तो भाजपा पिछले चुनावों में रही थी दोनों पार्टियों पर भारी सातों सीटें जीती थी आधे से भी ज्यादा वोट लेकर
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली , राष्ट्रीय स्तर पर हुई विपक्षी एकता की खबरों के बीच कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने के ईच्छुक नेताओं में भले ही ख़ुशी की लहर है कि गठ्बन्धन के तहत यदि चुनाव हुए तो इस बार लोकसभा में पहुंचने का नम्बर लग सकता है | हालांकि यह अभी तय नहीं है कि दिल्ली में गठ्बन्धन के क्या नियम होंगे और कौन सी सीट किस पार्टी के हिस्से में आएगी | लेकिन मोटे तौर पर अनुमान लगाया जा रहा है राष्ट्रीय स्तर पर फार्मुला बनाया जा सकता है पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा के मुकाबले जो पार्टी पहले या दूसरे नम्बर पर रही थी उसी पार्टी के नेता को गठ्बन्धन का उम्मेदवार बनाया जा सकता है |
दिल्ली में यदि यह फार्मूला लागू हुआ तो कांग्रेस के हिस्से पांच संसदीय क्षेत्र आते हैं | क्योंकि पिछले लोकसभा चुनावो में दिल्ली में कांग्रेस प्रत्याशी नार्थ वेस्ट तथा साऊथ दिल्ली को छोड़ कर सभी पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे थे | जबकि इन दोनों सीटो पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नम्बर पर रहे थे | अरविन्द केजरीवाल नें यदी ज्यादा हाय हल्ला किया तो तो एक सीट और बढाई जा सकती है| उस सूरत में आप पार्टी पूर्वी दिल्ली या पश्चिमी दिल्ली पर अपना दावा ठोक सकती है | पूर्वी दिल्ली तथा पश्चिमी दिल्ली ही दो ऐसी सीटें थी जहां पार्टी दो लाख से अधिक वोट लेने में कामयाब हुई थी और चुनाव के बाद पश्चिमी दिल्ली संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे महाबल मिश्रापार्टी से किनारा कर गए थे | उनके पुत्र को आप पार्टी नें विधानसभा का टिकिट दे दिया था |
वैस गठ्बन्धन की खबरों से दोनों ही दलों के नेताओं को ज्यादा खुश होनेबी की जरूरत नहीं है यदि हम पिछले चुनावों के आंकड़े देखे तो भारतीय जनता पार्टी सभी सातों सीटें पचास फीसदी से ज्यादा अन्तराल से जीती हैं | यानी जाएँ तो भाजपा की जीत का अन्तराल काफी बड़ा था | उत्तर पश्चिमी तथा पश्चिमी सीटो पर तो जीत का अन्तराल साढे पांच -पांच लाख से भी अधिक का था | पश्चिमी दिल्ली से प्रवेश वर्मा को आठ लाख 65 हजार से भी अधिक मत मिले थे जबकि दूसरे नम्बर पर रहे महाबल मिश्र को दो लाख 87 हजार तो आप पार्टी के बलबीर जाखड को दो लाख 51 हजार के आसपास वोट मिले थे | इसी तरह उत्तर पश्चिमी दिल्ली से हंसराज हंस को आठ लाख 48 हजार तो आप के गुगन सिंह कोदो लाख 94 हजार के आसपास वोट मिले थे |कांग्पूरेस के राजेश लिलोठिया को दो लाख 36 हजार के आसपास वोट मिले थे पूर्वी दिल्ली से गौतम गंभीर को छह लाख 96 हजार तो अरविन्द्र सिंह लवली को तीन लाख पांच हजार के आसपास वोट मिले थे जबकि आप की आतिशी यहाँ से दो लाख 19 हजार के आसपास वोट ले सकी थी | उत्तर पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी को सात लाख 87 हजार आठ सौ तो शीला दीक्षित को चार लाख 21 हजार 697 वोट मिले थे तो आप के दलीप पाण्डेय को एक लाख 90 हजार 856 वोट ही मिल पाए थे | साऊथ दिल्ली से रमेश विधूड़ी को छह लाख 87 हजार के आसपास वोट मिले थे तो आप के राघव चड्ढा को तीन लाख बीस हजार के आसपास वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के विजेंद्र बोक्सर को केवल एक लाख 64 हजार 613 वोट ही मिल सके थे | जहां तक चांदनी चौक का सवाल है डॉ.हर्षवर्धन को पांच लाख 19 हजार 55 वोट मिले थे तो कांग्रेस के जे.पी.अग्रवाल को दो लाख 90 हजार 910 वोट मिले थे तो आप पार्टी के पंकज गुप्ता को केवल एक लाख 44 हजार के आसपास वोट मिले थे |नई दिल्ली से मिनाक्षी लेखी के खाते में पांच लाख चार हजार कांग्रेस के अजय माकन को दो लाख 47 हजार 702 तप आप पार्टी के बिर्जेश गोयल को डेढ़ लाख के आसपास ही वोट मिले थे | इस तरह सातों सीटों पर भाजपा को कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी दोनों को मिले वोटो से भी ज्यादा वोट मिले थे |