निगम के स्कूलों में बच्चों के लिए डेस्क तक उपलब्ध नहीं करा पा रही आप पार्टी सरकार : आदेश भारद्वाज
* दूसरे स्कूलों में मर्ज कर दिया कई स्कूलों को
नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : देश भर में अपने स्कूली मॉडल के कसीदे पढ़ने वाली आम आदमी पार्टी शासित निगम के स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिएडेस्क तक नहीं हैं यह कहना है करावल नगर कांग्रेस जिलाध्यक्ष आदेश भारद्वाज का। आदेश भारद्वाज का कहना है कि अपना स्कूली खर्च बचाने के लिए आम आदमी पार्टी की निगम के एजुकेशनल डिपार्टमेंट ने 8 जोन के 30 स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज कर दिया था। जिसमें सेंट्रल जोन के 8 स्कूल, साउथ जोन के 6 स्कूल, सिविल लाइन जोन के 5 स्कूल, केशवपुरम जोन के 4 स्कूल, रोहिणी जोन के 3, सिटी जोन के 2 और नरेला व नजफगढ़ जोन के एक एक स्कूल शामिल हैं। जिसके कई स्कूलों में बच्चों के अनुपात में डेस्क बहुत ही कम हैं। जैसे तुगलकाबाद स्कूल में बच्चे 1140 हैं जबकि डेस्क मात्र 150 ही है, वहीं तिगड़ी स्कूल में बच्चे 973 हैं और छोटी और बड़ी डेस्क मिलकर कुल लगभग 270 हैं। एक डेस्क पर दो ही बच्चे बैठ सकते हैं। और ऐसे है हालात दूसरे अन्य स्कूलों के हैं।
जल्दबाजी में लिए गए निर्णय का नतीजा यह हुआ कि दूसरे स्कूलों में बच्चों को शिफ्ट करने से वहां की क्लासों में बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई। जिससे शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने में भी परेशानियां आ रही हैं। एक एक क्लास के 6 से 7 सेक्शन बनाकर भी हालात बेकाबू हो रहे हैं। साथ ही बच्चों को बरसात के मौसम में नीचे बैठकर या खड़े रहकर पढ़ाई भी करनी पड़ रही है। अमूमन बरसाती दिनों में कीड़े वगैरह निकलने का डर रहता है। फर्श में नमी भी काफी रहती है। जिससे बच्चों में संक्रमण होने या किसी कीड़े के काटने का डर बना रह सकता है।
आम आदमी पार्टी की अनुभवहीनता और निगम अधिकारियों के कुप्रबंधन के चलते यह अजीब स्थिति बन गई है। जबकि होना तो यह चाहिए था कि स्कूलों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट करने से पहले वहां उनको बैठाने के लिए डेस्क और कमरों और शिक्षकों का प्रॉपर तरीके से इंतजाम किया जाता। लेकिन विज्ञापन के दम पर अपनी सूरत चमकाने में अग्रणी रहने वाली आम आदमी पार्टी कथनी और करनी में जो मूलभूत फर्क है वह साफ देख जा रहा है। चलते चलते मैं एक बात और कह देना चाहता हूं कि जो लोग आज कह रहे हैं कि बच्चों की कमी के चलते स्कूलों को शिफ्ट किया गया वो शायद यह भूल जा रहे हैं कि उनके नेता केजरीवाल जी खुद हमेशा यह कहते रहे है कि दिल्ली के अभिभावक प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला करवा रहे हैं तो फिर आज यह हालात कैसे बन गए कि बच्चों की कमी से एक स्कूल को दूसरे में शिफ्ट करना पड़ रहा है |