Delhi: बिहारी कॉलोनी में झुकी चार मंजिला इमारत से मचा हड़कंप, एमसीडी ने खाली कराया इलाका

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Delhi: बिहारी कॉलोनी में झुकी चार मंजिला इमारत से मचा हड़कंप, एमसीडी ने खाली कराया इलाका

नई दिल्ली के शाहदरा स्थित बिहारी कॉलोनी में गुरुवार रात उस समय हड़कंप मच गया जब एक चार मंजिला इमारत अचानक झुकती हुई नजर आई। जैसे ही दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को इसकी सूचना मिली, तुरंत कार्रवाई करते हुए इमारत को खाली कराया गया। आसपास की अन्य इमारतों में भी खतरे की आशंका को देखते हुए नोटिस जारी कर दिए गए हैं, जिससे उन मकानों को भी खाली कराया जा सके।

एमसीडी के शाहदरा साउथ जोन के स्थायी समिति अध्यक्ष संदीप कपूर ने बताया कि यह इमारत बहुत ही जर्जर हालत में है और सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरा बन चुकी थी। उन्होंने कहा कि निगम ऐसी सभी पांच से छह मंजिला जर्जर और झुकी हुई इमारतों की पहचान कर उन्हें खाली कराने और ज़रूरत पड़ने पर गिराने की कार्रवाई कर रही है। एमसीडी की प्राथमिकता आम नागरिकों की सुरक्षा है और इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

इस चार मंजिला मकान का मालिक आबिद अली बताया गया है, जिसने इसे किराए पर दे रखा था। इमारत में तीन मंजिलों पर तीन परिवार रह रहे थे जबकि ग्राउंड फ्लोर पर चार दुकानें भी किराए पर थीं। मकान करीब 15 से 18 साल पुराना है और स्थानीय लोगों के अनुसार यह मकान पिछले चार महीनों से धीरे-धीरे झुक रहा था, लेकिन बुधवार को इसकी स्थिति बेहद गंभीर हो गई।

स्थिति को देखते हुए मकान मालिक ने भवन को अस्थाई रूप से सहारा देने के लिए लकड़ी के तख्तों का इस्तेमाल किया, लेकिन इसके बावजूद स्थिति नहीं सुधरी। घबराए स्थानीय निवासियों ने पुलिस, एमसीडी और बीएसईएस को सूचना दी। सभी विभागों की टीम मौके पर पहुंची और रात में ही मकान को खाली करवा लिया गया। निगम ने मकान पर नोटिस चस्पा कर दिया है जिसमें लिखा है कि यह भवन खतरनाक है।

फिलहाल एमसीडी अधिकारी यह तय करेंगे कि इमारत को पूरी तरह से गिराना होगा या नहीं। निगम की तरफ से आसपास की इमारतों को लेकर भी सर्वे कराया जा रहा है ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से पहले ही एहतियातन कार्रवाई की जा सके।

दिल्ली में लगातार पुरानी और असुरक्षित इमारतों की संख्या बढ़ रही है, जिससे ऐसे हादसों का खतरा बना रहता है। निगम की यह त्वरित कार्रवाई एक बड़ी दुर्घटना को टालने में मददगार साबित हुई है। यह घटनाक्रम दिल्ली में भवन सुरक्षा पर फिर से सवाल खड़े करता है और समय रहते पुरानी इमारतों की समीक्षा व निगरानी की जरूरत को उजागर करता है।

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