ढाई दशक बाद दिल्ली फतह को ले बेहद गंभीर है भाजपा
35 सीटों पर दिग्गज तो 35 पर होंगे नए चेहरे
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,भारतीय जनता पार्टी यह मानकर चल रही है दिल्ली विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन से ही उसका मुकाबला होगा ,लिहाजा पार्टी की रणनीति हर हालत में पचास फीसदी से अधिक वोट हासिल करने की है | और लोकसभा चुनावों में भाजपा ऐसा करती रही है लेकिन भाजपा इस बार विधानसभा चुनावों को लेकर भी उतनी ही गंभीर है जितनी लोकसभा चुनावों को लेकर रहती है | खुद होम मिनिस्टर अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा के साथ-साथ संगठन महामंत्री बी.एल.संतोष सक्रिय है और महाराष्ट्र चुनाव के बाद यह तिकड़ी इसी काम पर जुट जायेगी |
अमित शाह को चुनावी रणनीति का चाणक्य माना जाता है उनकी नीति के आगे अच्छे-अच्छे धुरन्दर धरे रह जाते है | समझ गए ना आप अमित शाह नें ठान लिया है शाम,दाम दंड भेद यानि किसी भी तरह से इस बार दिल्ली में भाजपा के 26 बरस के वनवास को खत्म करना है | अमित शाह जानते हैं दिल्ली की सियासत में अरविन्द को घेरना इस बार ज्यादा मुश्किल काम नहीं है |
आप सोच रहे होंगे हैड्लाईंन से अलग चर्चा हो रही है ,हां भाई रणनीति का खुलासा तभी होता है जब बुनियाद ठीक से भरी जाए | भाजपा की रणनीति है इस बार चुनावी जंग में आधे प्रत्याशी पुराने धुरंधर तो आधे नये चेहरे उतारे जाए और इसी रणनीति के तहत भाजपा आगे बढ़ रही है | बूथ मेनेजमेंट में भाजपा का कोई सानी नहीं है यह सब जानते है ,उससे भी आगे पन्ना प्रमुख और हर हर पन्ने में पांच-पांच लोगो तक पहुंच चुकी है भाजपा | जहां तक प्रत्याशी चयन का सवाल है एक-एक सीट अमित शाह के हाथ से स्कीर्निंग होकर निकलनी है यह समझ लीजिये आप | यानी किसी भी सीट पर हल्के प्रत्याशी की कोई गुंजाईश नहीं रहने वाली | खुद अरविन्द को घेरने के लिए भाजपा तुरुप का ईक्का या इक्की इस्तेमाल करेगी | वरिष्ठ चेहरों की बात करें तो स्मृति ईरानी , डॉ.हर्ष वर्धन ,प्रवेश वर्मा,रमेश विधूड़ी ,मीनाक्षी लेखी के साथ-साथ विजेंद्र गुप्ता,अजय महावर के नाम प्रमुख हैं जबकि नये नामों में बांसुरी स्वराज ,किशन शर्मा ,हरीश खुराना के नाम शामिल है |
आपको याद दिला दें लोकसभा चुनावों दिल्ली भाजपा के तीनों महामंत्रियों को चुनाव लड़ाया गया था तो तीनों जीते ,उसी तर्ज पर इस बार इन तीनों मंत्रियों का नम्बर लग सकता है | और तीनों के जीतने की प्रबल सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता | जहां तक भाजपा के बढ़ते कुनबे में नये सदस्यों के दावेदारों का सवाल है उस पर चर्चा फिर कभी आज बस इतना ही
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