इंदौर में भी डॉक्टरों की हड़ताल से चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं, इमरजेंसी भी बंद, इलाज पाने भटक रहे मरीज

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मध्य प्रदेश में 15 हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर, इलाज ना मिलने से मरीज परेशान

हड़ताल के चलते गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज ज्यादा परेशान हैं. भोपाल में कुछ मरीजों को निजी अस्पतालों में शिफ्ट करना पड़ा, कई ऑपरेशन टालने पड़े हैं.

मध्य प्रदेश में समान वेतन, पुरानी पेंशन, प्रशासनिक दखलंदाजी कम करने जैसी कई मांगों को लेकर 15 हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टर बुधवार से हड़ताल पर चले गए. हड़ताल का असर भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दिखाई दे रहा है. गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज ज्यादा परेशान हैं. भोपाल में कुछ मरीजों को निजी अस्पतालों में शिफ्ट करना पड़ा, कई ऑपरेशन टालने पड़े हैं. डॉक्टरों की मांग है कि सरकारी अस्पतालों में प्रशासनिक अधिकारियों की दखलंदाजी कम की जाएगी. संविदा चिकित्सकों को जल्द से जल्द नियमित किया जाए. एमपीपीएससी में संविदा चिकित्सकों को 40% रिजर्वेशन मिले, ग्रामीण क्षेत्र में जिन डॉक्टरों ने बॉन्ड भरा है, उन्हें संविदा चिकित्सक के सामान वेतन मिले.

हड़ताल से मरीज हैं परेशान

बता दें कि इस हड़ताल से नीलोफर, राधाबाई, शालिनी जैसे लाखों मरीज परेशान हैं. लोफर तलाकशुदा हैं, दो बच्चों की जिम्मेदारी अकेले संभालती हैं, बच्ची बीमार है, दवा नहीं मिली, शालिनी और राधाबाई को सोनाग्राफी करवानी थी नहीं हुई. राधाबाई तो विदिशा जिले से आई हैं. एक मरीज की मां नीलोफर ने बताया कि पिता नहीं हैं, छोड़कर भाग गए हैं. हरतरफ से हमें करना पड़ता है, बोल रहे हैं बाहर से लो आप आज दवाई नहीं मिली है. डॉक्टर हड़ताल पर हैं.हमें बहुत परेशानी हो रही है.

एक मरीज शालिनी ने कहा कि इंदिरा गांधी से सुल्तानिया में आए, अब हड़ताल हो गई है कहते हैं बाद में आना सोनोग्राफी नहीं कर रहे हैं. बार-बार आना जाना पड़ता है. विदिशा से आई मरीज राधाबाई ने कहा कि सोनोग्राफी करवाने आए डॉक्टर कहने लगे हड़ताल है. ना दवा दी.

डॉक्टरों का आरोप सरकार ने वादाखिलाफी की

डॉक्टरों का कहना है सरकार ने वादाखिलाफी की है, मरीजों की तकलीफ उनके बेहतर कल के लिए है. डॉ उर्मिला केसरी ने कहा कि क्या कर सकते हैं. कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, डॉक्टर टिके रहे तो हमारी पदोन्नति. डीएसीपी मिले थोड़ी परेशानी है, लेकिन भविष्य सुरक्षित हो जाएगा इसलिये गाना बना वादा खिलाफी वाला.

डॉ. राकेश मालवीय ( मुख्य संयोजक, मप्र शासकीय स्वशासी संघ ) ने कहा कि 17 फरवरी को जहां खड़े थे, 3 मई को वहीं हैं. कोई आदेश नहीं, लिखित सहमति नहीं, सैद्धांतिक समझौता नहीं. 5 साल से लड़ रहे हैं. 5 साल से रोड पर हैं. मरीजों को परेशानी हो रही है. हम नहीं चाहते कि परेशानी हो. हम कहते हैं कि सरकार से पूछ लो, इस बार आदेश तक जाएंगे, आदेश हो जाए एक मिनट में तंबू हटा लेंगे.

प्रशासन ने कहा- वैकल्पिक इंतजाम किए हैं

वहीं प्रशासन का कहना है उसने वैकल्पिक इंतजाम किये हैं. आशीष सिंह (कलेक्टर, भोपाल) ने कहा कि कुछ अस्पतालों में 1500 बेड रिजर्व करके रखे हैं. मुफ्त इलाज होगा. 108 को भी बता रखा है कि अस्पतालों में मुफ्त इलाज होगा, 150 डॉक्टर निजी अस्पतालों से पहुंच चुके हैं, हालांकि दावों के बावजूद हकीकत ये है कि अकेले भोपाल के हमीदिया अस्पताल में 32 रूटीन ऑपरेशन टालने पड़े.

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