कश्मीर के हालात अभी भी कश्मीरी पंडितों के लिए अच्छे नहीं हैं जैसे 32 साल पहले भी नहीं थें उनको आज भी पकड़-पकड़कर मारा जा रहा है, लेकिन इसके साथ यह भी सच्चाई है कि 8 लाख लोग वहां पर्यटन के लिए गए है दोनों बाते एक दूसरे से अलग हैं मैं दरख्वास्त करूंगा सभी लोगों से कि निर्दोष लोगों को वहां निशाना नहीं बनाया जाए. लेकिन इसके लिए हमको लड़ना पड़ेगा ये एक दूसरे पर लांक्षन लगाने का सवाल नहीं है यह जवाब, एक सवाल को लेकर फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने वाराणसी के पिशाच मोचन कुंड पर दिया।
कश्मीर फाइल की शूटिंग के दौरान मन में विचार आया
जब वो साल 1990 में मृत हुए कश्मीरी पंडितों की आत्मा की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करने पहुंचे थे उन्होंने आगे बताया कि कश्मीर फाइल की शूटिंग के दौरान मन में विचार आया और मेरे निजी जीवन से जुड़ी कहानी पर फिल्म 32 साल बाद बन रही थी ऐसी बहुत सारी कहानियां सामने आईं जिसमें टेरेरिज्म के शिकार कश्मीरी पंडितों को मार दिया गया था महिलाओं, बहनों और माताओं के साथ अशोभनीय काम हुए. तो मुझे त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा के बारे में पता चला. इस पूजा के जरिये मोक्ष की कामना होती है इसलिए मैं आया हूं जो दुनिया भर में आतंक का शिकार हुए है और बिना किसी बात के उनको मार दिया गया है उन सभी की आत्मा की शांति के मैं यहां आया हूं।