पाला बदलने के साथ ही जीत सुनिश्चित हो गई थी जुबेर अहमद की
* दिल्ली में जीते हैं सबसे बड़े मार्जन से
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,बाबरपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद को छोड़ते हुए पूर्व निगम पार्षद जुबेर अहमद नें जिस दिन आम आदमी पार्टी का दामन थामा था उसी दिन ही यह तय माना जा रहा था जुबेर अहमद सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र से बड़े अन्तराल से चुनाव जीत जायेगें | और हुआ भी ऐसा ही | जहां तक अन्तराल का सवाल है जुबेर अहमद नें दिल्ली की सत्तर विधानसभा सीटों में सबसे बड़े अन्तराल 42 हजार 477 के बड़े अन्तराल से जीत दर्ज की | जुबेर अहमद को पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी प्रत्याशी रहे अब्दुल रहमान से भी ज्यादा वोट इस बार मिले | अब्दुल रहमान को पिछले विधानसभा चुनाव में 72 हजार 694 वोट मिले थे उन्होंने भाजपा के कौशल मिश्रा को हराया था | कौशल मिश्रा को 35हजार 774 वोट मिले थे तो कांग्रेस प्रत्याशी जुबेर के पिता चौधरी मतीन को 20 हजार 247 वोट मिले थे | जहां तक इस चुनाव का सवाल है जुबेर अहमद को 78 हजार 9 वोट मिले वहीं भाजपा के अनिल गौड़ को 36 हजार 532 वोट मिले वहीं अब्दुल रहमान को मात्र 16 हजार 551 वोट मिले | आपको याद दिला दें अब्दुल रहमान इस बार कांग्रेस की ओर से चुनावी जंग में थे | जुबेर इस विधानसभा के तहत हुए नगर निगम के उप चुनाव में भी बड़े मार्जन से जीते थे जिसके बाद कांग्रेस नें उन्हें जिला कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया था |
जुबेर की पत्नी भी निगम का चुनाव लड़ी और बड़े अन्तराल से जीती थी | अपनी कार्यशैली के दम पर जुबेर सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हो गए थे जिसे देखते हुए आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल की नजरें उन पर पड़ी और उन्होंने जुबेर को अपनी पार्टी में शामिल कर प्रत्याशी बना दिया | जुबेर के पिता चौधरी मतीन को जमीनी नेता माना जाता है वे एक बार निर्दलीय के तौर पर भी चुनाव जीत विधानसभा पहुंच चुके हैं |
लिहाजा अरविन्द केजरीवाल उन्हें भीं नहीं छोड़ना चाहते थे और खुद उनके घर पहुंच चौधरी मतीन को भी आप पार्टी में शामिल कर लिया | उसी दिन यह हो गया था जुबेर विधानसभा चुनाव लड़ेगें और जीत दर्ज करेगें | अपने तथा अपनी पत्नी के कार्यों की बदौलत तथा पिता चौधरी मतीन की बे-दाग छवि की चलते उनकी जीत पर किसी को भी कोई शक नहीं था | जुबेर तथा मतीन अहमद को चुनाव जमीनी स्तर पर लड़ना आता है उनके बूथ मेनेजमेंट का कोई सानी नहीं है टिकिट काफी समय पहले घोषित होने का भी जुबेर को भरपूर लाभ मिला और उन्होंने बिना मौका गवाए काफी सघन प्रचार करते हुए जीत दर्ज की |
हालांकि यह माना जा रहा था अब्दुल रहमान की उम्मेदवारी के चलते अल्पसंख्यक वोटो में बड़ा विभाजन हो सकता है और जुबेर की परेशानी बढ़ सकती है लेकिन जुबेर नें अपने प्रचार की धार से उस धारणा को भी ब्रेक लगा दिया तथा जीत अपने पाले में लाकर खड़ी कर दी | आम आदमी पार्टी जहां दिल्ली भर में जूझती नजर आई वहीं सीलमपुर में जुबेर अहमद को अपने कार्यों की बदौलत कोई खास परेशनी नहीं हुई और वे दिल्ली में सबसे बड़े अन्तराल से जीतने में कामयाब हो गए | आज बस इतना ही …