मनोज तिवारी से नाखुश कार्यकर्ता करने लगे पूर्वी दिल्ली में पलायन
कार्यशैली से नाराज लोगो को मिला नया ठिकाना
हर्ष को मिलेगा समीकरणों का फायदा
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,आप सोच रहे होंगे आज फिर से मनोज भैया को लपेटने की बारी है | नहीं भैया ऐसा नहीं है मनोज जी हमारे मित्र है और एक अच्छा मित्र वही होता है जो उसे सच्चाई से रूबरू कराएं वरना आज का समय हां जी ,हां जी का है | और वो हम कर नहीं सकते | दिन को रात और रात को दिन कहने वालों में हमारी गिनती नहीं होती | दरअसल सत्ता की भागीदारी में दस साल बहुत अधिक ,होते हैं और इस दौरान सभी को खुश रखना हर किसी के बस में नहीं होता | हर कोई एच.के.एल.भगत या मदनलाल खुराना नहीं बन सकता | समझ गए ना आप, दो बार की सांसदी और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष जैसे पद पर रहने के बाद मनोज भैया हर किसी को लड्डू नहीं दे सके लिहाजा उनके प्रति नाराजगी बड़े पैमाने पर व्याप्त है | जिसे काबू पाना अब उनके बूते के बाहर होता जा रहा है |
दरअसल उनके आस-पास जो मंडली है वो उन्हें ऐसा करने भी नहीं देती | चाणक्य नीति में भी वर्णन है नासमझ सलाहकार राजा के पतन का कारण बनते है | और समझदार विरोधी भी कभी कभी मददगार साबित हो सकते है | आप भूले नहीं होंगे मनोज जी के ईलाके में कुछ नाराज कार्यकर्ताओं नें जिला भाजपा के समानांतर सन्गठन बना डाला था हालांकि उनमे से ज्यादातर लोग मुख्य धारा से जुड़ चुके हैं लेकिन आशियानें को जलाने के लिए एक ही चिंगारी काफी होती है | आज आलम यह है कि तीन सौ लोगो को चुनाव प्रबन्धन समिति में समेटने के बाद भी इससे दोगुने लगभग पूरी लोकसभा में असंतोस की लौ जगा रहे हैं और उन्हें कुछ बड़े विरोधी हथेली बन सहारा भी दे रहे हैं | गनीमत यह है कि मनोज भैया के क्षेत्र से ही बराबर वाली सीट के लिए हर्ष मल्होत्रा को प्रत्याशी बना दिया गया लिहाजा उनके विरोधियों को एक नया ठिकाना काम करने के लिए मिल गया वरना उनका गुस्सा यहीं फटना तय था | हमारे नेटवर्क से जुड़े सैकडो लोगो का दावा है बड़ी भारी संख्या में वर्करों की फौज मनोज भैया को छोड़ बराबर वाली सीट पर पलायन करने जा रही है इतना ही नहीं कुछ लोग तो योजना के तहत इसी सीट पर बड़े आयोजन कर मनोज जी को न्योता तक नहीं देने वाले | इसी कड़ी में रविवार को श्याम गिरी मन्दिर शास्त्री पार्क में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा एक बड़ा आयोजन किया जा रहा है जिसके निमन्त्रण कार्ड पर मनोज जी का नाम तक नहीं है | पिछले सालों दूसरे दलों से भाजपा में
शामिल हुए कई असरदार नेता भी खुद को महत्व नहीं मिलने से ईधर उधर नजरें टिकाये हैं | आज बस इतना ही …