दिल के दौरे और कार्डियक अटैक में होता है फर्क।
नई दिल्ली ( रविन्द्र कुमार):जब कभी सीने में दर्द हो जिसमें प्रेशर,या भारीपन जैसे महसूस होने लगे, जो केवल बाएं तरफ नहीं होता बल्कि बीच में या दाए तरफ भी होता है। यह दर्द पेट के ऊपर की तरफ जाता है कभी बाए हाथ या कंधे की तरफ जाता है और पसीना आना,सांस लेने में कठिनाई होना,कई बार जबड़े में या दांत में भी दर्द हो सकता है। इसे हल्के में कतई न लें यह मुख्यत दिल के दौरे का संकेत हो सकता है। दिल के दौरे पर विस्तृत जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर आईए जानते है इस विषय पर क्या ऐहतियात ओर सावधानियां बरतनी चाहिए।
राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के अतिरिक्त मेडिकल सुप्रीडेंटेंट डॉक्टर गौरव ने इस विषय पर विस्तार पूर्वक बताया कि हार्ट अटैक का सबसे प्राथमिक लक्षण है सीने में दर्द होना जिसे एंजाइना कहते है। यह एक दबाव और खिंचाव जैसे महसूस होने लगता है। जो सीने के दोनों तरफ होता हैं।यह दर्द चलने से या परिश्रम करने से बढ़ता है , और थोड़ा आराम करने से कम होता है। सांस की तकलीफ और पसीना आना, इसकी सबसे बड़ी पहचान है। कुछ लोगो को गैस होने की फीलिंग भी आती है।
यह हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। हमें यह भी समझना होगा कि असल में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में भी अंतर होता है। हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट दोनों ही गंभीर स्थितियां हैं, लेकिन इनमें महत्वपूर्ण अंतर यह है कि हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज के कारण रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। इसके कारण हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे सीने में दर्द, सांस फूलना, बाएं हाथ या जबड़े में दर्द, और अत्यधिक पसीना आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इस स्थिति में रोगी होश में होता है और दर्द की शिकायत करता है। हार्ट अटैक मुख्य रूप से एक रक्त संचार समस्या है। वहीं, कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब हृदय की विद्युत प्रणाली में गड़बड़ी के कारण हृदय की धड़कन अचानक बंद हो जाती है। यह एक विद्युत समस्या है, जिसमें हृदय रक्त पंप करना बंद कर देता है। कार्डियक अरेस्ट के दौरान व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है, सांस लेना बंद कर देता है, और नाड़ी महसूस नहीं होती। इस स्थिति में तत्काल सीपीआर का उपयोग करना जीवन बचाने के लिए आवश्यक होता है।हार्ट अटैक एक धीमी प्रक्रिया है जिसमें रक्त प्रवाह रुकने के कारण हृदय प्रभावित होता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट एक अचानक होने वाली स्थिति है जिसमें हृदय की धड़कन पूरी तरह रुक जाती है। दोनों स्थितियों में त्वरित चिकित्सा सहायता बेहद जरूरी है।
डॉक्टर गौरव बताते हैं कि हार्ट अटैक आने पर क्या करना चाहिए इस स्थिति में तुरंत नजदीकी अपस्ताल जाएं, सर्बिट्रेट 5 एमजी की टेबलेट जीभ के नीचे रख सकते हैं , इससे दर्द की तीव्रता थोड़ी कम हो जाती है। और तुरंत नजदीकी हस्पताल के लिए एम्बुलेंस से संपर्क करें।हार्ट अटैक के मुख्यत कारण की बात करें तो लंबे समय तक अनियंत्रित रक्तचाप हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाता है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ने से धमनियों में वसा जमा होने से रक्त प्रवाह में रुकावट होती है।
अधिक वजन से हृदय पर दबाव बढ़ता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान से धमनियों में सूजन और ब्लॉकेज का खतरा बढ़ता है।अनियंत्रित शुगर लेवल हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचता है। अत्यधिक तनाव से भी हृदय पर दबाव बढ़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। बैठे रहने की जीवनशैली रहना और व्यायाम की कमी से हृदय कमजोर हो जाता है और रक्त संचार में बाधा आती है।
तला-भुना, वसायुक्त और जंक फूड खाने से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा अनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं। परिवार में हृदय रोग का इतिहास होने पर हार्ट अटैक का खतरा अधिक रहता है। शराब का अत्यधिक सेवन हृदय की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है,पर्याप्त नींद न लेने से हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। हार्ट अटैक से बचाव के उपाय पर डॉक्टर गौरव बताते हैं कि स्वस्थ आहार का सेवन करें जिसमें कि फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।
तले हुए और वसा युक्त भोजन से बचें। रोज़ाना कम से कम 30 मिनट तक तेज़ चाल से चलें, योग करें या हल्के व्यायाम करें, धूम्रपान को तुरंत बंद करें। नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की जांच करवाएं और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लें। मेडिटेशन, योग और गहरी सांस लेने की तकनीकों का अभ्यास करें,शराब के सेवन बंद करें। अधिक वजन से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है, इसलिए संतुलित आहार और व्यायाम के माध्यम से वजन नियंत्रित रखें।
नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं: साल में एक बार ECG, लिपिड प्रोफाइल और अन्य हृदय संबंधी जांचें करवाएं।