दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के विकल्प की तलाश शुरू
* हर्ष मल्होत्रा के मंत्री बनने से बदले समीकरण
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,अभी यह खबर आपको कुछ अटपटी जरुर लग रही होगी आखिर दिल्ली की सातों सीटें भाजपा द्वारा जीतने के बाद भी अध्यक्ष जी को बदलने की क्या जरूरत है | लेकिन यह सोलह आने सच है और ऐसा होने जा रहा है | अगले कुछ महीने बाद दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने हैं , भारतीय जनता पार्टी लगातार विधानसभा के छह चुनाव हारने के बाद इस बार किसी भी कीमत पर दिल्ली फतह करने का मूड बना चुकी है | लेकिन यह तभी सम्भव हो पायेगा जब धरातल पर उतर चुनावी रणनीति बनाई जाए | और हर्ष मल्होत्रा जैसे जमीनी नेता को दिल्ली के कोटे से केंद्र में मंत्री बना पार्टी नें इसकी शुरुवात भी कर दी है |
हर्ष मल्होत्रा एक ऐसा नाम है जो दिल्ली के हजारों ना केवल भाजपा अपितु अन्य दलों के प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अनेकों संगठनों से जुड़े लोगो से परिचित हैं | अब आप समझ गए होंगें पंजाबी कोटे से बने मंत्री के बाद पंजाबी समुदाय से अध्यक्ष रखने का कोई तुक भी नहीं बनता | वैसे भी कम से कम भाजपा में तो ये सभी समीकरण देखे जाते हैं | आपको यह भी याद दिला दें भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है , उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्थान भी मिल गया है जल्द ही उनके स्थान पर यह दायित्व भी किसी अन्य जमीनी नेता को मिलना तय है | जाहिर सी बात है राष्ट्रीय नेतृत्व बदलने के बाद संगठन का नये सिरे से गठन पुरानी प्रक्रिया है | खासतौर से चुनावी राज्यों में भाजपा मजबूत चेहरों पर ही दांव खेलेगी | जहां तक दिल्ली का सवाल है भाजपा अरविन्द केजरीवाल को ले बेहद सतर्क है और उन्ही के कद के बराबर के किसी नेता को यह जिम्मेदारी देगी इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए | जहां तक वीरेन्द्र सचदेवा का सवाल है पार्टी हाईकमान की नजरों में उनका रिपोर्ट कार्ड भी ठीक नहीं बताया जा रहा | भाजपा के एक दो नहीं अपितु दर्जनों नेताओं नें पार्टी को उनकी कार्यप्रणाली के बारे में शिकायतें की हुई है | ऐसे में पार्टी कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है | इस रेस में कौन कौन है और पार्टी की इस बारे में क्या रणनीति है इस पर फिर कभी चर्चा करेगें | आज बस इतना ही …