खुला विरोध ,भीतरघात भी नहीं रोक पाया जितेन्द्र महाजन के विजय रथ को

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जितेन्द्र महाजन
खुला विरोध ,भीतरघात भी नहीं रोक पाया जितेन्द्र महाजन के विजय रथ को

खुला विरोध ,भीतरघात भी नहीं रोक पाया जितेन्द्र महाजन के विजय रथ को

कांग्रेस और भाजपा का बड़ा खेमा जुटा था विरोध में

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,जी हाँ हम बिलकुल सही कह रहे हैं रोहताश नगर विधानसभा क्षेत्र के तहत चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान भाजपा विधायक जितेन्द्र महाजन के विरोधी सुनियोजित तरीके से जिस तरह से लामबंद हुए थे ऐसा लग रहा था जितेन्द्र विरोधियों के चक्रव्यूह में फंस चुके है और सारे मिल उन्हें लपेट देंगे | लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत यानी जितेन्द्र पिछली बार से भी डबल मार्जन से चुनाव जीतने में सफल रहे और उनके विरोधी ताकते रह गए |

आपको बता दें पिछला विधानसभा चुनाव जितेन्द्र जहां 13 हजार 241 वोट के अन्तराल से जीते थे तो वहीं इस बार उनकी जीत का मार्जन 27 हजार 872 यानी डबल से भी ज्यादा पहुंच गया | इसका मतलब साफ़ है कर्मयोगी की कभी हार नहीं हुआ करती | मतलब साफ़ है जो जनता के बीच रहेगा ,लोगो के सुख दुःख में खड़ा रहेगा उसे कोई हरा नहीं सकता | अब जरा आंकड़ो पर भी चर्चा कर लेते हैं पिछले चुनाव में जितेन्द्र को 73 हजार 873 वोट मिले थे तो आप पार्टी की सरिता सिंह को 60 हजार 632 और कांग्रेस के विपिन शर्मा को 5 हजार 572 |

वहीं इस चुनाव में जितेन्द्र के वोट बढकर 82 हजार 866 हो गए तो आप पार्टी की सरिता के घटकर 54हजार 994 रह गए यानी करीब 19 फीसदी का अंतर | कांग्रेस प्रत्याशी सुरेशवती को महज 3 हजार 639 वोट ही मिल सके | वैसे तो यह किसी से छिपा नहीं है कांग्रेस के 40 फीसदी से ज्यादा कार्यकर्ता आप पार्टी के साथ जुटे थे कुछ खुले में तो कुछ छिपकर | वहीं भाजपा में भी जितेन्द्र विरोधी कई कद्दावर नेता आप प्रत्याशी की मदद कर रहे थे लेकिन दूसरी पार्टियों के ऐसे लोगो की कमी भी नहीं थी जो जितेन्द्र की मदद कर रहे थे और शायद यही वजह रही उनकी जीत का अन्तराल बढने की |

जितेन्द्र विरोधियों नें एक दो निर्दलीय प्रत्याशियों पर भी हाथ रखा हुआ था लेकिन हम पहले से कहते आये हैं चोरी छिपे भीतरघात के परिणाम कभी सकारात्मक नहीं होते उसके लिए खुलकर मैदान में आना पड़ता है जैसे एक बार हम खुद आये थे और पूरे शहर नें परिणाम भी देखा था | जितेन्द्र की जीत के पीछे कुशल रणनीति ,कुशल व्यवहार ,जबर्दस्त जमीनी प्रचार ,कार्यकर्ताओं की बेहतरीन टीम रहा | वहीं आप पार्टी के चुनाव प्रचार में कोई धार नहीं होना, विपक्ष में होने के बावजूद एंटी क्म्बेंसी का बरकरार रहना ,लचर चुनाव प्रबन्धन ,समर्पित कार्यकर्ताओं की कमी रहा | कुल मिलाकर जो जीता वही सिकन्दर ,सिकन्दर यानी जितेन्द्र को हमारी शुभकामनाएं और हारने वालों को दिल से सवेंदना | आज बस इतना ही …

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