लोकसभा चुनावों से गायब है इस बार मोदी मैजिक
* बेरोजगारी और महंगाई है बड़े मुद्दे
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,जी हाँ यह हम नही कह रहे बल्कि राजधानी दिल्ली के वे लोग कह रहे हैं जो सीधे जनता से जुड़े हैं और बिना मतलब के मुददों से ऊब चुके है | यानी दूसरे शब्दों में इस बार लोग मोदी का विकल्प तेजी से तलाश रहे हैं | प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की बॉडी लेंग्वेज भी कुछ इसी तरह का ईशारा पिछले कई दिनों से करती दिख रही है | जिससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है मोदी और उनकी टीम को भी यह आभास हो चुका है चार सौ पार के उनके नारे की हवा जनता नें निकाल दी है |
भाजपा खेमा अब यह आस लगाये है कि किसी तरह बहुमत का आंकड़ा ही छू लिया जाए | भले ही उसके लिए कुछ भी किया जाए | इसमें कोई दो राय नहीं दिल्ली में भाजपा का कैडर वोट चालीस फीसदी के आसपास है जो विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी उन्हें मिलता है लेकिन चालीस फीसदी से चुनावी वैतरणी सीधे मुकाबले में पार नहीं हुआ करती | यदि ऐसा हो सकता तो भाजपा विधानसभा के लगातार तीन चुनाव और नगर निगम का चुनाव नहीं हारती |
कमोवेश वही हालत लोकसभा चुनाव में बन चुके हैं और दिल्ली की सातों सीटों में भाजपा तथा गठ्बन्धन में सीधा मुकाबला है | यदि आंकड़ो की बात करें तो सीधे मुकाबले में कांग्रेस भाजपा पर ज्यादातर भारी रही है | और इस बार कांग्रेस तथा आप गठ्बबन्धन के तहत जंग में है दूसरी ओर चुनावों से मोदी मैजिक कोसों दूर भी है तो किसी चमत्कार की उम्मीद हमे तो कम ही दिखती है | भाजपा की रणनीति के मुताबिक राम मन्दिर भी चुनावी मुद्दा नहीं बन पा रहा ,हिन्दू मुस्लिम कार्ड भी टांय टांय फिस हो चुका है |
अलबत्ता बेरोजगारी ओर महंगाई जनता के सबसे बड़े मुद्दे बन चुके हैं | हम यहाँ एक बात का जिक्र और करना चाहते हैं दिल्ली को लघु भारत कहा जाता है ,हम तो चुनावों में दिल्ली से बाहर गए नहीं लेकिन हम दावे के साथ कह सकते हैं जो मुद्दे दिल्ली में दिखाई दे रहे हैं वे पूरे देश में हावी रहे होंगे लिहाजा इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि मोदी मैजिक गुजरात और यू.पी.के अलावा कहीं भी नहीं चला होगा | और अपनी जनसभाओं में मोदी नें चुनावो को हिन्दू मुस्लिम की ओर ले जाने की भरपूर कोशिश भी की लेकिन जनता अब इन फ़ालतू के चक्करों से बचती दिख रही है | समझ गए ना आप क्या होने की सम्भावना है चार जून को | आज बस इतना ही …