प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर प्रसारित अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को भारतीयों की भावनाओं की अभिव्यक्ति और ‘आध्यात्मिक यात्रा’ का विषय करार दिया जिसने वर्ष 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद महसूस किए गए ‘खालीपन’ को भर दिया और यह सुनिश्चित किया कि वह कभी भी लोगों से कटे नहीं रहें। ‘मन की बात’ की 100वीं कड़ी प्रधानमंत्री के लिए पुरानी स्मृतियों में खो जाने के अवसर के रूप में आया और उन्हें याद करते हुए वह भावुक भी हुए। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके लिए यह महज एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि विश्वास और ‘आध्यात्मिक यात्रा’ का विषय है। अपने विचार साझा करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद परिस्थितिजन्य विवशता के कारण उनके पास जनता से कट जाने की चुनौती थी, लेकिन ‘मन की बात’ ने इसका समाधान दिया और सामान्य लोगों से जुड़ने का रास्ता दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मन की बात कोटि-कोटि भारतीयों के ‘मन की बात’ है। यह उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण है। ‘मन की बात’ देशवासियों की अच्छाइयों और उनकी सकारात्मकता का एक अनोखा पर्व बन गया है।’’
मोदी ने कहा कि यह एक ऐसा पर्व है, जो हर महीने आता है और जिसका सभी इंतजार करते हैं तथा उन्हें यकीन नहीं होता है कि वे इस कार्यक्रम के 100वें पड़ाव पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम इसमें सकारात्मकता और लोगों की भागीदारी का जश्न मनाते हैं। ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा वह जन आंदोलन बन गया और लोगों ने इसे जन आंदोलन बना दिया।’’ इस क्रम में प्रधानमंत्री ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, स्वच्छ भारत अभियान, आजादी का अमृत महोत्सव, खादी को लोकप्रिय बनाने और प्रकृति से जुड़े कार्यक्रमों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की हर कड़ी अपने आप में ‘खास’ रही और हर बार इसमें नए उदाहरणों की नवीनता देखने को मिली और हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का इसमें विस्तार हुआ। उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ में पूरे देश के कोने-कोने से हर उम्र-वर्ग के लोग जुड़े।