मनीष सिसोदिया जेल में रहकर लड़ सकते हैं पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव
* आपदा में भी अवसर तलाशने में माहिर हैं केजरीवाल
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,हेडलाइंस पढ़कर आप सोच रहे होंगे क्या ऐसा संभव है, जी हाँ ऐसा संभव है संविधान के मुताबिक जब तक किसी व्यक्ति को अदालत द्वारा कारावास की सजा नहीं सुनाई गई हो और वह जेल में बंद है लोकसभा ,राज्यसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ सकता है | आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल यह एलान कर चुके हैं कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की सातों सीटें जीतेगी | यानी इशारा कर चुके हैं वे अब गठ्बन्धन का इन्तजार नहीं करने वाले और और अकेले ही चुनावी जंग में कूदेगें | ऐसे में अरविन्द केजरीवाल के सामने नामचीन लोगो को ही प्रत्याशी बनाने की मजबूरी रहने वाली है | वे भलीभांति जानते हैं विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जमीन आसमान का अंतर होता है | दोनों चुनावों के मुद्दे भी अलग-अलग रहते हैं | और लोकसभा के प्रत्याशी भी दमदार होने चाहिए कम से कम ऐसे तो हों जिन्हें क्षेत्र के लोग नाम से तो जानते ही हों | और इस मामले में आज की तारीख में मनीष सिसोदिया ऐसा नाम है जिन्हें दिल्ली तो क्या देशभर में लोग जान चुके है |
और यदि उन्हें प्रत्याशी बनाया जाता है तो मीडिया की सुर्खियाँ उन्हें मिलना लाजमी है | आर या पार की सियासत में माहिर अरविन्द केजरीवाल इस तरह के फैंसले लेने में माहिर है | अरविन्द केजरीवाल को आपदा में भी अवसर तलाशने का मास्टर माना जाता है | वे यह अच्छे से जानते हैं मनीष सिसोदिया को मिलने वाली पब्लिसिटी से आम आदमी पार्टी ना केवल पूर्वी दिल्ली में अपितु देश भर के मीडिया में सुर्खियाँ बटोरेगी | और मनीष की बीमार पत्नी जब चुनावी जंग या प्रचार में कूदेगी तो पूरी पार्टी का प्रचार तन्त्र सहानुभूति को लहर में बदलने तथा मनीष को बेगुनाह साबित करने में जुट जाएगा | उनका यह नारा भी हिट रहने की सम्भावना से इनकार नहीं करता हम काम करना चाहते है वे हमें काम नहीं करने देते | हम जेल की सलाखों के पीछे रहकर भी नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से डरने वाले नहीं | ऐसे में बाजी किसी ओर भी पलट सकती है | एक दो नहीं जेल के भीतर से चुनाव लड़ने और जीत दर्ज करने के अनेक मामले सामने है | ऐसे में अरविन्द का प्रयास मनीष सिसोदिया या उनकी धर्मपत्नी को चुनावी जंग में उतरने का रहने वाला हो सकता है | वैसे भी आम आदमी पार्टी के पास मनीष की टक्कर का नाम कमसे कम पूर्वी दिल्ली में तो दूसरा है नहीं |