Chhattisgarh Naxal Operation: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में माओवादियों पर बड़ी कार्रवाई: तीन दिनों में 7 नक्सली ढेर, दो टॉप कमांडो भी शामिल

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Chhattisgarh Naxal Operation: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में माओवादियों पर बड़ी कार्रवाई: तीन दिनों में 7 नक्सली ढेर, दो टॉप कमांडो भी शामिल

बीजापुर (छत्तीसगढ़): माओवादी आतंक के खिलाफ छत्तीसगढ़ में चल रहा सुरक्षा बलों का व्यापक ऑपरेशन निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। बीजापुर जिले के इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में जारी अभियान के दौरान पिछले तीन दिनों में कुल 7 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया है। इस सफल कार्रवाई में दो मारे गए नक्सली संगठन के टॉप कमांडो बताए जा रहे हैं, जिनके पास से अत्याधुनिक हथियार बरामद किए गए हैं। ऑपरेशन लगातार जारी है और सुरक्षाबलों को क्षेत्र में 8 अन्य माओवादियों के छिपे होने की जानकारी है।

तीसरे दिन भी सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली, जब दो माओवादियों को जवाबी कार्रवाई में ढेर कर दिया गया। लगातार तीन दिन से जारी मुठभेड़ों में जवानों ने न केवल घातक हथियारों का जखीरा जब्त किया है, बल्कि माओवादी नेटवर्क की रीढ़ माने जाने वाले बड़े नेताओं को भी मार गिराया है। गुरुवार को जिस माओवादी को मारा गया, उस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था, जबकि शुक्रवार को मारे गए नक्सली पर 45 लाख रुपये का इनाम था।

सुरक्षा बलों के सूत्रों के अनुसार, यह ऑपरेशन इंद्रावती टाइगर रिजर्व और उससे सटे घने जंगलों में केंद्रित है, जो लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का गढ़ माना जाता रहा है। जंगल की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद जवानों ने धैर्य और रणनीति से अभियान को सफल बनाया है। ऑपरेशन में नक्सलियों की मौजूदगी को लेकर मिले पुख्ता खुफिया इनपुट के आधार पर जवानों ने उन्हें चारों ओर से घेरकर कार्रवाई की।

विशेष सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा बल इस समय क्षेत्र में सक्रिय माओवादी नेतृत्व को खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। लगातार कार्रवाई से संगठन की कमर टूटती दिखाई दे रही है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यह ऑपरेशन तब तक जारी रहेगा, जब तक पूरे क्षेत्र को माओवादी गतिविधियों से मुक्त नहीं कर दिया जाता।

फिलहाल, जवानों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और तलाशी अभियान चल रहा है। मुठभेड़ के बाद मिले हथियारों में कई एके-47, इंसास राइफल और ग्रेनेड शामिल हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि माओवादी संगठन न सिर्फ स्थानीय स्तर पर सशस्त्र था, बल्कि उनके पास विदेशी मूल के हथियार भी उपलब्ध थे।

छत्तीसगढ़ पुलिस, सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के संयुक्त प्रयासों से यह ऑपरेशन बड़ी सफलता की ओर बढ़ रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह माओवाद के खिलाफ अब तक की सबसे निर्णायक कार्रवाइयों में से एक है, जो आने वाले समय में माओवादी गतिविधियों को पूरी तरह कमजोर कर सकता है।

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