केजरीवाल के बम्पर शॉट से दिल्ली की सियासत में हलचल
* मतीन अहमद के पाला बदलने से गया बड़ा संदेश
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,दिल्ली की सियासत के सिकन्दर अरविन्द केजरीवाल जेल से लौटने nके बाद सियासी पिच पर जमकर खेल रहे है | आलम यह है हर बाल पर सिक्सर मारने के आदि हो चुके केजरीवाल कोई भी मौका नहीं चूक रहे ,स्पिनर हो या फ़ास्ट बालर उन्हें तो शाट मारना ही है | समझ गए ना आप भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस आजकल वे जमकर बैटिंग कर रहे हैं और अपनी बिखर चुकी टीम को फिर से मजबूती से वापसी की ओर बढ़ा रहे हैं | मात्र दस दिन के भीतर उन्होंने भाजपा के कद्दावर तथा जमीनी नेता ब्रह्म सिंह तंवर,बी.बी.त्यागी को अपनी टीम में मिला लिया तो वहीं कांग्रेस के कद्दावर युवा नेता जुबेर अहमद तथा शेरे दिल्ली के नाम से मशहूर जमीनी तथा हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक पांच बार के विधायक चौ.मतीन को अपने खेमे में शामिल कर दिल्ली के आवाम को यह संदेश दे दिया उन्हें कमजोर समझने की भूल ना करें उनके तरकश में अभी बहुत तीर बाकी है |
खबर तो यहाँ तक भी है जिसका हमने पहले भी जिक्र किया था कि कांग्रेस के कम से कम बीस बड़े नेता और भाजपा के दस से भी ज्यादा नेता केजरीवाल के कुनबे से जुड़ना चाहते हैं लेकिन केजरीवाल केवल उन्ही नामो को हरी झंडी दे रहे हैं जिनसे आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें फायदा मिले | यानी केवल जमीनी नेता जो पार्टी के जनाधार को मजबूती दिला सके |
जुबेर अहमद करीब दस दिन पहले आप में शामिल हो चुके थे लेकिन मतीन भाई ना नुकर में लगे थे | सियासी लोग इसके भी कई मायने निकाल रहे थे | कुछ कह रहे थे यदि गठ्बन्धन से चुनाव हुआ और सीट कांग्रेस के खाते में आई तो मतीन अहमद, नहीं आई तो जुबेर अहमद आप से चुनाव लड़ेगें ,लेकिन अरविन्द केजरीवाल नें मतीन अहमद के घर पहुंच उन्हें पार्टी में शामिल कर इस बहस पर विराम लगा दिया | मतीन अहमद के आप कुनबे से जुड़ने का मतलब ना केवल मुस्लिम समुदाय में बड़ा संदेश गया है बल्कि यमुनापार की करीब एक दर्जन सीटों पर हिन्दुओं में भी गया है | जो अरविन्द चाहते थे उन्हें अपने मकसद में कामयाबी मिल गई है इसमें कोई दिस -दैट नहीं है | और शायद ऐसा पहली बार हुआ कि किसी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी नेता के घर उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए पहुंचा हो | इस नीति का नाम है केजरीवाल नीति, कई बड़े लोग तो अपने घर पहुंचे नेता से मिलने में नखरे दिखाते हैं | इसीलिए कहा गया है हीरे की कीमत जोहरी ही पहचानता है ,हम कोई अरविन्द का गुणगान नहीं कर रहे लेकिन किसी की अच्छाई का जिक्र करने में कंजूसी भी नहीं करते | आज के एपिसोड का क्या नफा नुकसान होगा सब जानते हैं लेकिन अरविन्द जो संदेश देना चाहते है उसमें उन्हें कामयाबी जरुर मिली है | आज बस इतना ही