केजरीवाल ने खास रणनीति के तहत उतारे लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी
* साधा जातीय समीकरण ,देखा समर्पण और अनुभव
* ब्राह्मण ,पूर्वांचल ,गुर्जर और दलित उतार चौंकाया
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली , अपनी अद्भुत सियासत से ना केवल राजधानी दिल्ली बल्कि पूरे मुल्क में मिसाल कायम कर चुके अरविन्द केजरीवाल को समझना मुश्किल ही नहीं बल्कि बेहद मुश्किल है | उन्हें बेहद करीब से जानने वाले भी नहीं जान पाते कि उनका अगला पत्ता क्या होगा | जी हाँ आप सही समझे आज हम बात कर रहे हैं उनके द्वारा दिल्ली की चार लोकसभा सीटों के लिए घोषित उम्मीदवारों के बारे में |
महाबल मिश्रा के अलावा सभी नाम चौंकाने वाले सामने आये | इन नामों के बारे में किसी को आभास तक नहीं था ,लेकिन जो भी नाम घोषित किए गए है किसी को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता | चारों के चारों जमीन से जुड़े हैं कई -कई चुनाव जीत चुके हैं | महाबल मिश्र कांग्रेस से नगर निगम,विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव भी जीत चुके हैं ,उनका बेटा फिलहाल विधायक भी है जमीन से जुड़े पूर्वांचली नेता है ,ब्राह्मणों में अच्छी पैठ रखते है | पश्चमी दिल्ली ब्राह्मण तथा पूर्वांचल बाहुल्य क्षेत्र है निश्चित रूप से भारी पड़ेगें | पूर्वी दिल्ली सामान्य सीट है बावजूद इसके जमीनी नेता कुलदीप कुमार को मैदान में उतार दलित वर्ग को लामबंद कर दिया है और संदेश दे दिया है आम आदमी पार्टी दलितों के हितो का ध्यान रखती है | कुलदीप कुमार फ़िलहाल विधायक है निगम पार्षद भी रहे हैं और विपक्ष के नेता भी लिहाजा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ जनता से जुड़े रहे है |
भाजपा का हल्का फुल्का प्रत्याशी तो उनके सामने टिक भी नहीं पायेगा | नई दिल्ली सामान्य सीट है केजरीवाल नें सोमनाथ भारती के रूप में तीन बार से विधायक जमीनी नेता को प्रत्याशी बना पूरी दिल्ली को संदेश दे दिया है उनसे बड़ा दिल्ली का हितैषी कोई नहीं है | सोमनाथ भारती केजरीवाल सरकार में मंत्री भी रहे है पेशे से वकील रहे सोमनाथ को जमीनी नेता माना जाता है | जहां तक सहीराम को चुनाव लड़ाने का फैंसला है एकदम सही है | सहीराम नगर निगम के दो चुनाव तथा विधान सभा के तीन चुनाव जीत चुके है गुर्जर मतदाताओं में उनकी जबर्दस्त पकड़ है | धाकड़ नेता के रूप में उनकी पहचान है निश्चित रूप से रंग दिखाने की हिम्मत रखते हैं | आप सोच रहे होंगे हम आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों की इतनी तारीफ़ क्यों कर रहे हैं अरे भाई आलोचना वहीं की जानी चाहिए जहां जरूरत हो बिना वजह आलोचना उचित नहीं होती | हम तो केवल ईतना कहना चाहते हैं अरविन्द केजरीवाल नें सभी जातीय समीकरण साधे हैं जहां तक वैश्य प्रत्याशी का सवाल है गठ्बन्धन को भी इस ओर कुछ सोचना है और केजरीवाल नें कुरुक्षेत्र से नामचीन वैश्य नेता सुशील गुप्ता को उत्तार कोटा पूरा कर दिया है इसे कहते हैं दिमाग | कुल मिलाकर हम कह सकते हैं अरविन्द नें तो हाथ दिखा दिए अब बारी कांग्रेस की है यदि कांग्रेस नें भी जातीय समीकरण और जमीनी समीकरण साधे तो दिल्ली दिलचस्प मुकाबला देखेगी | आज बस इतना ही
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