जस्टिस उदय उमेश ललित ने आज सुप्रीम कोर्ट के 49वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। शपथ लेने के बाद चीफ जस्टिस ने राष्ट्रपति और वहां उपस्थित सभी लोगों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए, तालियां बजीं और एक बार फिर उन्होंने राष्ट्रपति को प्रणाम किया। इसके बाद चीफ जस्टिस ललित मंच से उतरे और हाथ जोड़े हुए सीधे पहली पंक्ति में एक कोने में पहुंच गए। उन्होंने वहां बैठे 90 साल के अपने पिता और बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश उमेश रंगनाथ ललित के पैर छुए। यह दृश्य देख राष्ट्रपति भवन में तालियां गूंजने लगीं। उन्होंने अपने परिवार के दूसरे सदस्यों का भी पैर छूकर आशीर्वाद लिया। जस्टिस यूयू ललित दो महीने दो हफ्ते यानी कुल 75 दिन तक सुप्रीम कोर्ट की अगुआई करेंगे। महाराष्ट्र के ललित के परिवार को कानून में 102 साल की विरासत है। जस्टिस यूयू ललित के दादा रंगनाथ ललित भारत की आजादी से बहुत पहले सोलापुर में एक वकील थे। आज जब जस्टिस यूयू ललित सीजेआइ के रूप में शपथ ली तो उस समय तीन पीढ़ियां मौजूद रही। जस्टिस यूयू ललित ने न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान तीन क्षेत्रों पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट में कम से कम एक संविधान पीठ साल भर काम करे। जस्टिस ललित ने अयोध्या मामले में सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था क्योंकि वह बाबरी विध्वंस केस में कल्याण सिंह के लिए कंटेप्ट केस में पेश हुए थे। तीन तलाक को गैर-संवैधानिक करार देने वाली संवैधानिक बेंच में जस्टिस ललित शामिल थे। साथ ही हाल में बॉम्बे हाई कोर्ट के पॉक्सो मामले में स्किन टू स्किन से संबंधित विवादित फैसले को उन्होंने पलट दिया था। चीफ जस्टिस ललित ने कहा है कि वह तीन मुख्य बदलाव करेंगे जिनमें लिस्टिंग सिस्टम में पारदर्शिता लाएंगे। संबंधित बेंच के सामने अर्जेंट मामले की सुनवाई के लिए केस उठाए जाने का सिस्टम रखेंगे साथ ही एक संवैधानिक बेंच हमेशा बैठेगी जो संवैधानिक मामलों की सुनवाई सालभर करेगी।