दिल्ली-एनसीआर में GRAP लागू, जानें- प्रदूषण बढ़ा तो क्या-क्या लगेंगी पाबंदियां?
दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों में होने वाले वायु प्रदूषण को देखते हुए उससे बचाव के लिए ग्रैप को लागू किया गया है. ग्रैप के हर चरण में लोगों को सिटीजन चार्टर का पालन करना होगा.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने कल यानी रविवार से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू कर दिया है. सर्दियों के मौसम में होने वाले वायु प्रदूषण (Air Pollution) को देखते हुए उससे बचाव के लिए ग्रैप को लागू किया गया है. इसके तहत, दिल्ली-एनसीआर में जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ेगा, उसके अनुसार अलग-अलग चरणों में पाबंदियां भी बढ़ाई जाएंगी.
ग्रैप के हर चरण में लोगों को सिटीजन चार्टर का पालन करना होगा. प्रदूषण फैलाने वाली यूनिट और सिस्टम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पिछले साल के पहले तक दिल्ली-एनसीआर में 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक के लिए ग्रैप लागू किया जाता था, लेकिन पर अब हवा में प्रदूषण के कण 2.5 और PM 10 की स्थिति को देखते हुए पिछले साल के 1 अक्टूबर से ही ग्रैप को लागू किया जाने लगा है. प्रदूषण के तीन दिन पहले के पूर्वानुमान के आधार पर पाबंदियां बढ़ाई या घटाई जाएंगी. इसके लिए मौसम की स्थिति, हवा की गति, पराली जलाने की संख्या और अन्य स्त्रोतों से होने वाले प्रदूषण का अध्ययन कर विश्लेषण किया जाएगा.
डीजल जनरेटर चलाने की किसे मिली छूट?
सीएक्यूएम के मुताबिक, प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जरूरी सेवाओं को छोड़कर रेसिडेंशियल, कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल यूनिट में बिजली आपूर्ति के लिए डीजल जनरेटर नहीं चल सकेंगे. वहीं, अस्पताल, मेट्रो रेल सहित 9 तरह की जरूरी सेवाओं में शर्तों के तहत 31 दिसंबर तक जनरेटर चला सकेंगे. जबकि, सोसायटी में सिर्फ लिफ्ट, पानी, कॉमन एरिया की लाइट के लिए जनरेटर चला सकते हैं. 31 दिसंबर तक जनरेटर में रेट्रोफिटेड एमिशन कंट्रोल डिवाइस लगाना अनिवार्य होगा. इसे लगाने से प्रदूषण कम होता है. सीएक्यूएम के अनुसार, 1 जनवरी से बिना रेट्रोफिटेड एमिशन कंट्रोल डिवाइस के जरूरी सेवाओं के लिए भी जनरेटर चलाने पर रोक लग जाएगी.
इस तरह से लागू होंगी पाबंदियां
ग्रैप को चार चरणों मे बांटा गया है, जिसमें हवा की गुणवत्ता के आधार पर उस चरण की पाबंदियों को लागू किया जाएगा.
पहला चरण: खराब हवा (AQI 201 से 300 तक)
इस चरण में 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के चलने पर रोक होगी. उम्र पूरी कर चुके वाहनों के खिलाफ जांच अभियान चला कर ऐसे वाहनों को जब्त किया जाएगा. इस चरण में किसी भी तरह के कूड़े को जलाने पर भी प्रतिबंध होगा. अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं, होटलों, ढाबों में कोयला और लकड़ी जलाना प्रतिबंधित होगा. उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जाएगा.
दूसरा चरण: बेहद खराब (AQI 301 से 400 तक)
इसमें पहले चरण की सभी पाबंदियां लागू रहेंगी. इसके अलावा हॉटस्पॉट पर वायु प्रदूषण रोकने के लिए सख्त कार्रवाई होगी. हर दिन सड़कों की सफाई होगी, जबकि हर दूसरे दिन पानी का छिड़काव किया जाएगा. होटल, रेस्तरां में कोयले और तंदूर पर प्रतिबंध होगा.
तीसरा चरण: गंभीर (AQI 401 से 450 तक)
पहले और दूसरे चरण की सभी पाबंदियां लागू रहेंगी. इस दौरान दिल्ली, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और गुरुग्राम में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल चार पहिया वाहनों पर रोक लगाने की सिफारिश की जाएगी. रेलवे, मेट्रो, राष्ट्रीय सुरक्षा और महत्व से जुड़ी परियोजनाओं को निर्माण और तोड़फोड़ की छूट रहेगी. स्वच्छ ईंधन से न चलने वाले ईंट के भट्टे, मिक्सर प्लांट, स्टोन क्रशर बंद कराए जाएंगे.
चौथा चरण: इमरजेंसी (AQI450 से अधिक)
इसमें दिल्ली के बाहर के चार पहिया वाहनों के दिल्ली में प्रवेश करने पर रोक लगाई जाएगी. इन वाहनों में बीएस 6 इंजन वाले और आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को छूट रहेगी. इस दौरान हाईवे, सड़क, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज आदि के निर्माण और तोड़फोड़ पर पाबंदी लगाई जा सकती है.