बाबरपुर में कांग्रेस और भाजपा की वजह से गोपाल राय को मिल सकता है वॉक ओवर
दोनों खेमों के वर्करों में भारी असंतोष
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली, जी हाँ हमने जिस बात का जिक्र अपनी हेडलाइन में किया है यदि आपको यकीन नहीं आ रहा तो तो कापी पेन लेकर निकल जाओ बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र में और एक हजार लोगो की राय ले लेना हमारी बात की पुष्टि हो जायेगी | और हम भी केवल अपने तजुर्बे से यह नहीं लिख रहे हमारे भी बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र में कई हजार नजदीकी लोग रहते हैं जिनमे अनेक से बात कर यह बड़ी मजबूती के साथ वाक् ओवर जैसा शब्द लिख रहे हैं बाकी तो आठ फरवरी को ही सामने आएगा तब तो सब मानेगें पंडित जी नें नें तो पहले ही लिख दिया था | हमें तो अन्तराल का भी आभास है लेकिन उसका जिक्र करना उचित नहीं रहेगा क्योंकि अभी तो पार्टी शुरू हुई है, समझ गए ना आप अभी तो शुरुवाती चरण है चुनाव आगे बढ़ेगा ,रंग दिखेगा भी और बदलेगा भी लेकिन आभास तो शुरुवात में ही होने लगा |
कांग्रेस की तो पुरानी आदत है बाबरपुर में बाहर के नेताओं को ही मौका दिया जाता रहा है जबकि क्षेत्र के मजबूत दावेदारों का पत्ता काट दिया जाता है | हालांकि एक बार बाहरी प्रत्याशी भी जीत गया था लेकिन आज ना तो शीला दीक्षित जैसा चेहरा पार्टी के पास है और ना ही जीत दर्ज करने वाले पुराने प्रत्याशी जैसा | विनय शर्मा बाहरी जरुर थे लेकिन लम्बे समय से क्षेत्र में ही दफ्तर बना लोगो की सेवा कर रहे थे | ऐसा नहीं है पार्टी के पास मजबूत स्थानीय नेता नहीं थे ,हिन्दू भी थे तो मुस्लिम भी जिनमें हाजी जरीफ,राजीव कौशिक,सुनील वशिष्ठ,मुकेश गौड़ सहित कई और मजबूत नाम थे | लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी चयन को ले अपने बुरे दौर में भी सबक लेने को तैयार नहीं है | जहां तक भाजपा का सवाल है हम नहीं कहते कि अनिल वशिष्ठ कमजोर चेहरा है ,अनिल पहले भी यहाँ से कांग्रेस की तरफ से लड़ हार चुके हैं लेकिन उनको प्रत्याशी बना भाजपा नें दो-दो दशक से पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं को नाराज कर लिया जो भले ही दबी जबान से विरोध में है लेकिन उसके बड़े मायने है करीब एक दर्जन मजबूत नाम तो हमारी जानकारी में ही है जो मजबूती से टिकिट मांग रहे थे जो विरोध कर रहे हैं इनका जिक्र हम नहीं करना चाहते क्योंकि सभी हमारे मित्र है और जो साथ दे रहे हैं वे भी हमारे नजदीकी है लेकिन इतना बताना चाहते है ये भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है | भाजपा से मुकेश बंसल ,प्रवेश शर्मा,सचिन शर्मा, दर्शन सिंह आशीष पूनिया , सचिन शर्मा ,कुसुम तोमर ,दयालु महाराज ,जयभगवान गोयल,उदय कौशिक ,जयकरन चौधरी सहित और भी कुछ लोग मजबूत दावेदार थे | जहां तक गोपाल राय का सवाल है उनकी झाड़ू बड़ी मजबूती से टिकी है जिसे कांग्रेस तथा भाजपा के कई कद्दावर नेता भी चुपके से समर्थन दे रहे है इस सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता | आज बस इतना ही …