बचा लिया धोनी का करियर, वरना क्रिकेट के इतिहास के पन्नों में कहीं खो गए होते

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वह पारी जिसने बचा लिया धोनी का करियर, वरना क्रिकेट के इतिहास के पन्नों में कहीं खो गए होते

धोनी आज भारत के सबसे महान कप्तान हैं. उनकी उपलब्धि ऐसी है जिसे युगों तक नहीं भुलाया जा सकेगा. बता दें कि आज धोनी भले ही महान खिलाड़ी हैं लेकिन उनकी शुरूआत भारतीय क्रिकेट में बेहद ही औसत रही थी.

धोनी आज भारत के सबसे महान कप्तान हैं. उनकी उपलब्धि ऐसी है जिसे युगों तक नहीं भुलाया जा सकेगा. बता दें कि आज धोनी भले ही महान खिलाड़ी हैं लेकिन उनकी शुरूआत भारतीय क्रिकेट में बेहद ही औसत रही थी. दरअसल, दिसंबर 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ चटगांव वनडे के जरिए उन्होंने अपना पहला मैच खेला था. लेकिन पहले मैच में दुर्भाग्य से धोनी रन आउट हो गए थे. अपने पहले मैच में धोनी अपना खाता भी नहीं खेल पाए थे. किसी भी क्रिकेटर के लिए ऐसा डेब्यू करना बुरे सपने से कम नहीं था. लेकिन उस समय सौरव गांगुली टीम इंडिया के कप्तान थे. गांगुली हमेशा ऐसे खिलाड़ियों के साथ खड़े रहे जिसके अंदर अपार संभावनाएं नजर आती थी. धोनी उन्हीं क्रिकेटरों में से एक थे. यही कारण था कि पहले मैच में बिना गेंद खेले आउट होने के बाद भी गांगुली ने धोनी के कंधे पर हाथ रखा और उन्हें आगे के मैचों में मौका दिया. बता दें कि उस समय दिनेश कार्तिक भी टीम इंडिया में आने को लेकर कतार में थे. ऐसे में धोनी को हर हाल में अपने परफॉर्मेंस को दुनिया को दिखाना था.

शुरूआती 4 वनडे मैच में धोनी बेहद ही औसत दर्जे के लगे. पहले वनडे मैच में जहां उनके खाते में 0 रन थे तो वहीं दूसरे वनडे मैच में उन्होंने 12 रन की पारी खेली थी. तीसरे वनडे में 7 रन औऱ चौथे वनडे में केवल 3 रन बना पाए थे. किसी भी खिलाड़ी के लिए शुरूआत के 4 मैच में परफॉर्म न देना यकीनन सपने के टूटने के जैसा होता है. लेकिन कप्तान का साथ हो तो आपको मौके मिलते हैं.

कप्तान गांगुली ने बचा लिया धोनी का करियर

अब 4 मैच में धोनी परफॉर्मे नहीं कर पाए थे. अंदेशा लगने लगा था कि कहीं धोनी का करियर खत्म तो नहीं हो जाएगा. लेकिन अपने करियर के पांचवें वनडे मैच में धोनी ने वह अहम पारी खेली जिसने उनके लिए आगे के रास्ते खोल दिए थे.

पाकिस्तान के खिलाफ 148 रन की पारी जिसने बदल दी धोनी की तकदीर

करियर के 5वें वनडे मैच में धोनी को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर भेजा गया था. पहली बार धोनी को नंबर 3 पर बैटिंग करने का मौका मिला था. विशाखापत्तनम के मैदान पर धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ दबाव वाले मैच में 123 गेंदों में 148 रन की पारी खेली, इस अहम पारी में धोनी ने 15 चौके लगाए थे और साथ ही 4 छक्के भी लगाए. इस पारी में धोनी ने दिखा दिया था कि उनके अंदर कितना सारा टैलेंट भरा पड़ा था. भारत यह मैच 58 रन से जीतने में सफल रहा था. धोनी की इस अहम पारी ने उनको अपने करियर में आगे जाने का मौका दिया. इसके बाद फिर माही ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बता दें कि इस पारी से पहले इंटरनैशनल क्रिकेट में धोनी के खाते में 4 पारियों में सिर्फ 22 रन ही आए थे.

दिसंबर 2005 में हुआ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू

इसके बाद धोनी ने दिसंबर 2005 में चेन्नई में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था.

पहली बार साल 2007 में बने टी-20 टीम के कप्तान

सितंबर 2007 में धोनी पहले टी20 विश्व कप में भारत के कप्तान बने और भारत को पहली बार टी-20 का विश्व विजेता बनाया.

धोनी के कारनामें

बता दें कि धोनी सर्वकालिक महान भारतीय कप्तानों में से एक और सीमित ओवरों के क्रिकेट के इतिहास में सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे हैं. उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को टी20 विश्व कप, वनडे विश्व कप और चैंपियंस ट्रॉफी जीताया है और वो ऐसा कमाल करने वाले भारत के इकलौते कप्तान भी हैं. उन्होंने भारत को 2007 टी20 विश्व कप खिताब भारत को दिलाया था, जो टीम के कप्तान के रूप में उनका पहला कार्यभार था. इसके बाद 2011 में वनडे विश्व कप भारत को दिलाकर इतिहास रच दिया था. वहीं, माही ने साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भारत को जीत दिलाई थी. इसके अलावा साल 2009 में भारत पहली बार टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचा तो उस समय भी धोनी ही टेस्ट टीम के कप्तान थे.

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