कंप्यूटर से डिलीट फाइल्स, अधिकारी का बयान, CBI के रडार पर कैसे आए सिसोदिया…
सीबीआई ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को नई शराब नीति घोटाला मामले में अरेस्ट कर लिया है. उनके खिलाफ ये कार्रवाई किन आधारों पर हुई है, ये बात भी सामने आ गई है. आरोप है कि मनीष सिसोदिया के कंप्यूटर से कुछ फाइलें डिलीट कर दी गई थीं. इन्हें फॉरेंसिक टीम ने रिट्राइव किया है. इनमें सिसोदिया के खिलाफ अहम सबूत मिले.
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को रविवार को शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में सीबीआई ने 17 अगस्त को मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने 6 महीने की जांच और कई ठिकानों पर छापेमारी के बाद सिसोदिया के खिलाफ ये कार्रवाई की है. इससे पहले सिसोदिया को अक्टूबर में भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
सीबीआई क रडार पर सिसोदिया कैसे आए?
सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को नई आबकारी नीति (2021-2022)में धोखाधड़ी रिश्वतखोरी के आरोप में मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों पर मामला दर्ज किया था. 19 अगस्त को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया और आपके तीन अन्य सदस्यों के आवास पर छापा मारा दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में कई स्थानों पर भी तलाशी ली गई थी।
जब सिसोदिया के दफ्तर के कंप्यूटर को किया गया जप्त
सूत्रों के मुताबिक,तलाशी के दौरान सीबीआई ने कई डिजिटल डिवाइस भी जप्त किए थे.एक डिजिटल डिवाइस की जांच के दौरान एजेंसी को एक्साइज पॉलिसी ड्राफ्ट दस्तावेजों में से एक को अलग सिस्टम में प्रयास किया जो एक्साइज डिपार्टमेंट नेटवर्क का हिस्सा नहीं था.
आबकारी विभाग के एक अधिकारी से पूछताछ के दौरान एजेंसी को सिसोदिया के दफ्तर के कंप्यूटर का सुराग मिला इसके बाद 14 जनवरी को सीबीआई ने सिसोदिया के दफ्तर की कंप्यूटर कोशिश किया.इसमें ज्यादातर फाइलों को डिलीट किया गया था.पुलिस ने फॉरेंसिक टीम की मदद से इन फाइलों को रिट्राइव किया.
फॉरेंसिक जांच से पता चला है कि यह फाइल एक्सटर्नली ऑरजिनेट की गई थी और व्हाट्सएप के माध्यम से प्राप्त हुई थी. इसके बाद सीबीआई ने 1996 के दैनिक अधिकारी को समन भेजा यह अधिकारी सिसोदिया का सेक्रेटरी था.
पूर्व सचिव के बयान से फंसे सिसोदिया
अधिकारी ने पूछताछ में बताया कि सिसोदिया ने मार्च 2021 में अरविंद केजरीवाल के आवास पर बुलाया था. यहां सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे इस दौरान उन्हें ग्रुप ऑफ मिनिस्टर रिपोर्ट की प्रति दी गई थी. इस ड्राफ्ट कॉपी से 12 परसेंट “प्रॉफिट मार्जिन क्लास” जोड़ा गया .लेकिन इसके कोई रिकॉर्ड या चर्चा शामिल नहीं है कि कैसे 12 परसेंट “प्रॉफिट मार्जिन क्लास” को जोड़ा गया।
सीबीआई ने फरवरी के पहले हफ्ते में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने अधिकारी के बयान दर्ज कराएं और उसे गवाह बनाया.सिसोदिया के कार्यालय से जब कंप्यूटर और उनके सचिव के बयान की मदद से सीबीआई को सिसोदिया तक पहुंचने में मदद मिली।
सिसोदिया ने नहीं दिए जवाब
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने जब इन सब को लेकर सिसोदिया से सवाल किए तो कोई जवाब नहीं दे सके. सूत्रों का कहना है कि, सीबीआई ने पूछताछ के दौरान उनके खिलाफ कई सबूत रखें. इसमें कुछ दस्तावेज और डिजिटल एविडेंस इन पर सिसोदिया कोई जवाब नहीं दे सके.इतना ही नहीं सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को सबूतों को नष्ट करने का भी आरोप आरोपी पाया है.इसमें उनकी मिलीभगत सामने आई है।
वही,अधिकारी ने अपने बयान में कहा, सीबीआई को दिए अपने बयान में कहा था कि एक्साइज पॉलिसी तैयार करने में सिसोदिया ने अहम भूमिका निभाई थी और ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के सामने आबकारी नीति रखने से पहले कुछ निर्देश भी दिए गए थे. यह बात भी सामने आई कि सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. शराब नीति में कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े गए जो पहले मसौदे के हिस्सा ही नहीं थे. इस पर सिसोदिया यह नहीं बता सके कि उन प्रावधानों को कैसे शामिल किया.इतना ही नहीं इस बारे में आबकारी विभाग में हुई चर्चा या फाइलों का कोई रिकॉर्ड भी नहीं था.ज्यादातर सवालों के जवाब में सिसोदिया ने कहा “मुझे नहीं पता”