गठ्बन्धन में उत्तर पूर्वी दिल्ली को सेफ सीट समझ रहे हैं कांग्रेस के दावेदार, कई-कई बार विधानसभा हारे भी लड़ना चाहते हैं चुनाव

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गठ्बन्धन में उत्तर पूर्वी दिल्ली को सेफ सीट समझ रहे हैं कांग्रेस के दावेदार, कई-कई बार विधानसभा हारे भी लड़ना चाहते हैं चुनाव
गठ्बन्धन में उत्तर पूर्वी दिल्ली को सेफ सीट समझ रहे हैं कांग्रेस के दावेदार, कई-कई बार विधानसभा हारे भी लड़ना चाहते हैं चुनाव

गठ्बन्धन में उत्तर पूर्वी दिल्ली को सेफ सीट समझ रहे हैं कांग्रेस के दावेदार, कई-कई बार विधानसभा हारे भी लड़ना चाहते हैं चुनाव

-अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,अभी विपक्षी गठ्बन्धन में यह भी तय नहीं हुआ है कि दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के हिस्से में कौन सी सीट आएगी और आम
आदमी पार्टी को कौन सी सीट पर चुनाव लड़ना है | बावजूद इसके कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में इस सीट को ले अच्छी खासी चहलकदमी नजर आने लगी है | कांग्रेसी खेमे में तो आलम यह है कि किसी तरह से यह सीट कांग्रेस के खाते में आ जाए और टिकिट का जुगाड़ हो जाए तो जीत निश्चित है | इसके पीछे कई तर्क बताये जा रहे है सबसे बड़ा तर्क तो यह कहा जा रहा है दो टर्म से भोजपुरी सुपर स्टार मनोज तिवारी से लोग नाखुश है और लोग इस बार बदलाव चाहते हैं| दूसरा तर्क है इस संसदीय क्षेत्र के तहत मुस्लिम बड़ी तादाद में वोटर है और गठ्बन्धन के चलते उनका वोट एकतरफा पड़ना लगभग तय है | वैसे भी चौहान बांगर नगर निगम उपचुनाव तथा गत निगम चुनावों नें इस क्षेत्र के अल्पसंख्यक मतदाताओं का रुझान कांग्रेस की तरफ ही दिखा था जो वोटों में भी तब्दील हुआ | यहाँ तक की दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय के वार्ड भी मतों के धुर्विक्र्ण के चक्रव्यूह में फंस गए |

जहां तक यहाँ से कांग्रेस के दावेदारों का सवाल है कई कई बार विधानसभा का चुनाव हार चुके कई पूर्व विधायकों की हसरत भरी नजरें भी इस संसदीय क्षेत्र पर टिकी है लेकिन उनकी हसरते शायद ही पूरी हों क्योंकि आम आदमी पार्टी के रणनीतिकार भी इस सीट को मलाई समझ रहे हैं और वे किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटने वाले यमुनापार की ही बात आएगी तो कांग्रेस के लिए विकल्प के तौर पर पूर्वी दिल्ली को छोड़ सकते हैं जहां से पिछला चुनाव प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरविन्द्र सिंह लवली लड़े थे और दूसरे नम्बर पर रहे थे |

लवली इस बार भी इसी क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहेगें | उनके राईट हैण्ड जय करन चौधरी वहां से लोक सभा प्रभारी भी हैं | पूर्व सांसद जय प्रकाश अग्रवाल का नाम सबसे मजबूत दावेदारों में शामिल है क्योंकि चांदनी चौक का दावा आप पार्टी किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ना चाहेगी | कपिल सिब्बल की अरविन्द
केजरीवाल से नजदीकियां किसी से छिपी नहीं है | पूर्व विधायकों में चौधरी मतीन अहमद तथा हसन अहमद जहां अल्पसंख्यकों की भारी तादाद को ले आश्वस्त हैं वहीं भीष्म शर्मा भी ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र का हवाला देने में लगे हैं | पूर्व विधायक विपिन शर्मा भी इस जुगाड़ में है यदि गठ्बन्धन के तहत साझा उमीदवार बना दिया जाए तो बेहतर रहेगा |

विपिन शर्मा के स्व.पिता रामबाबू शर्मा दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और दिल्ली के दिग्गज ब्राह्मणों में उनकी गिनती होती थी | जे.एन.यू.के पूर्व छात्र नेता कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य कन्हैया कुमार भी पूर्वांचली वोटरों के चक्कर में यहाँ गुना भाग में लगे बताये जाते है | अरविन्द केजरीवाल भी उनकी उम्मीदवारी का विरोध नहीं करने वाले |

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