Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलवाद को करारा झटका, बड़ेसट्टी गांव हुआ पूरी तरह नक्सलमुक्त, 11 उग्रवादियों ने किया आत्मसमर्पण

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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलवाद को करारा झटका, बड़ेसट्टी गांव हुआ पूरी तरह नक्सलमुक्त, 11 उग्रवादियों ने किया आत्मसमर्पण

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के बड़ेसट्टी गांव से नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी और ऐतिहासिक सफलता की खबर सामने आई है। इस गांव में सक्रिय अंतिम 11 नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही बड़ेसट्टी गांव को अब पूर्णतः नक्सलमुक्त घोषित कर दिया गया है। यह खबर न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए राहत भरी है, जहां वर्षों से नक्सली हिंसा और आतंक का साया फैला हुआ था।

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले इन 11 नक्सलियों में से पांच पर इनाम घोषित था। चार नक्सलियों पर दो-दो लाख रुपए और एक पर पचास हजार रुपए का इनाम था। कुल मिलाकर इन पांच उग्रवादियों पर सरकार ने 8.50 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था। आत्मसमर्पण की इस प्रक्रिया को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत अंजाम दिया गया, जिसके तहत सभी surrendered नक्सलियों को 50-50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि, कपड़े, राशन और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

इस बड़ी उपलब्धि पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिक्रिया दी और इसे सरकार की नक्सल विरोधी रणनीति की सफलता करार दिया। उन्होंने लिखा, “सुकमा की बड़ेसट्टी पंचायत अब पूरी तरह नक्सलमुक्त हो गई है। यह हमारे सुरक्षा बलों की निरंतर मेहनत और स्थानीय प्रशासन की प्रभावी रणनीति का परिणाम है। यह केवल एक शुरुआत है, हम 31 मार्च 2026 से पहले पूरे देश को नक्सलवाद के दंश से मुक्त करने के लिए संकल्पित हैं।”

शाह ने अपनी पोस्ट में यह भी बताया कि सुकमा के अलावा बीजापुर जिले में भी सुरक्षाबलों ने नक्सलियों पर बड़ा प्रहार किया है। विशेष ऑपरेशन्स में कोबरा कमांडो और छत्तीसगढ़ पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 22 कुख्यात नक्सलियों को अत्याधुनिक हथियारों और विस्फोटक सामग्रियों के साथ गिरफ्तार किया गया है। इन कार्रवाइयों से साफ संकेत मिलता है कि सरकार अब नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़ रही है।

अमित शाह ने छिपे हुए नक्सलियों से भी अपील की कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलाई जा रही आत्मसमर्पण नीति को अपनाएं और हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हों। उन्होंने कहा कि सरकार न केवल आत्मसमर्पण करने वालों को सुरक्षा और पुनर्वास मुहैया करा रही है, बल्कि उन्हें एक सम्मानजनक जीवन शुरू करने का भी अवसर दे रही है।

सरकार द्वारा यह भी घोषणा की गई है कि अब जब बड़ेसट्टी गांव नक्सलमुक्त हो चुका है, तो यहां विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। इसके लिए एक करोड़ रुपए की विशेष राशि स्वीकृत की गई है। इस राशि का उपयोग बुनियादी सुविधाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और जल आपूर्ति जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाएगा, ताकि गांव के लोग भी अब शांति और समृद्धि की राह पर अग्रसर हो सकें।

बड़ेसट्टी गांव की यह परिवर्तनकारी कहानी नक्सल प्रभावित अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है। यह दिखाता है कि यदि सरकार की नीति सशक्त हो, प्रशासन सजग हो और सुरक्षाबल प्रतिबद्ध हों, तो हिंसा और अराजकता की जड़ें उखाड़ी जा सकती हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अन्य नक्सल प्रभावित गांवों में भी इसी तरह की शांति बहाल हो सके और देश 2026 तक नक्सलमुक्त भारत के लक्ष्य की ओर और मजबूती से बढ़ सके।

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