छठ पूजा- भारतीय संस्कृति और आस्था की छाप पूरी दुनिया में छोड़ रही है : PM मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों को छठ महापर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छठ पूजा सूर्य पूजा प्रकृति के साथ हमारी संस्कृति के गहरे संबंध का प्रमाण है। छठ पूजा श्रेष्ठ भारत का भी उदाहरण है, जो देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही विदेशों में भी मनाया जाता है। यह पर्व स्वच्छता पर भी विशेष जोर देता है। छठ त्योहार के आगमन पर, सड़कों, नदियों, घाटों और पानी के विभिन्न स्रोतों को सामुदायिक स्तर पर साफ किया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा, ‘छठ अब दिल्ली, मुंबई और गुजरात के कई हिस्सों के साथ महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है। समय बीतने के साथ, लगभग पूरे गुजरात में छठ पूजा के रंग घुलने लगे हैं। अब तो विदेशों में भी भारतीय समुदाय के लोग छठ पूजा मनाने लगे हैं। हम विदेशों में मनाई जा रही छठ पूजा की ऐसी भव्य तस्वीरें देखते हैं, जिसका अर्थ है कि भारतीय संस्कृति और इसकी आस्था दुनिया के हर कोने में अपनी छाप छोड़ रही है।’ उन्होंने सोलर एनर्जी के बारे में बात करते हुए कहा, हमने अभी-अभी पवित्र छठ पूजा, भगवान सूर्य की पूजा के बारे में बात की है। इसलिए आज सूर्य की पूजा के साथ-साथ उनके वरदान की भी चर्चा क्यों न करें। सूर्य देव का यह आशीर्वाद है- ‘सौर ऊर्जा’।

भारत अपने पारंपरिक अनुभवों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ रहा है:पीएम

पीएम ने कहा, भारत अपने पारंपरिक अनुभवों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ रहा है, इसीलिए हम सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने वाले अग्रणी देशों में से एक बन गए हैं, जिस तरह से सौर ऊर्जा गरीबों और मध्यम वर्ग के जीवन को बदल रही है, वह अध्ययन का विषय है। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में कांचीपुरम में एक किसान हैं, थिरु के. एजिलॉन उन्होंने ‘पीएम कुसुम योजना’ का लाभ उठाया और अपने खेत में 10 हॉर्स पावर का सोलर पंपसेट लगवाया। अब उन्हें अपने खेत के लिए बिजली पर कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता।  गुजरात के मोढेरा सूर्य ग्राम के अधिकांश घरों में सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है। अब वहां के कई घरों में महीने के अंत में बिजली का बिल नहीं आता है। इसके बजाय, बिजली से होने वाली आय का चेक मिलता है।’

जब भारत को क्रायोजेनिक रॉकेट टेक्नोलॉजी से वंचित कर दिया गया था

स्पेस टेक्नोलॉजी के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मुझे वे पुराने दिन भी याद हैं, जब भारत को क्रायोजेनिक रॉकेट टेक्नोलॉजी से वंचित कर दिया गया था। लेकिन भारत के वैज्ञानिकों ने न केवल स्वदेशी तकनीक विकसित की बल्कि आज इसकी मदद से दर्जनों उपग्रह एक साथ अंतरिक्ष में भेजे जा रहे हैं। भारत ने एक साथ 36 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे हैं। यह देश के युवाओं की ओर से जनता को दिवाली का एक खास तोहफा है। इससे कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक पूरे देश में डिजिटल कनेक्टिविटी और मजबूत होगी। गैर-सरकारी कंपनियों को भी इन-स्पेसी के माध्यम से अपने पेलोड और उपग्रहों को लॉन्च करने की सुविधा मिल रही है। मैं अधिक से अधिक स्टार्ट-अप्स और इनोवेटर्स से आग्रह करूंगा कि वे अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत में पैदा हो रहे इन विशाल अवसरों का पूरा लाभ उठाएं।

भारत के युवाओं के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र खोले जाने के बाद इसमें क्रांतिकारी बदलाव आने लगे हैं

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ के 94वें एपिसोड में कहा- भारत के युवाओं के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र खोले जाने के बाद इसमें क्रांतिकारी बदलाव आने लगे हैं। स्टार्ट-अप्स इस क्षेत्र में नए इनोवेशन और टेक्नोलॉजी ला रहे हैं। मैंने लाल किले से ‘जय अनुसंधान’ का आह्वान किया था। मैंने इस दशक को भारत का दशक बनाने की भी बात की…हमारे आईआईटी के छात्रों ने भी इसकी कमान संभाली है। छात्र शक्ति एक शक्तिशाली भारत की नींव है। आज का युवा ही है, जो आने वाले वर्षों में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह डिकेड भारत का टिकेड है। देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उन्हें हल करने के लिए युवा हैकाथॉन के माध्यम से अभूतपूर्व गति से काम कर रहे हैं। इस महीने, देश के सभी 23 आईआईटीज अपनी शोध परियोजनाओं को प्रदर्शित करने के लिए एक साथ आए। आईआईटी भुवनेश्वर की टीम ने शिशुओं के लिए एक पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाया है। इस वेंटिलेटर का इस्तेमाल बैटरी पर किया जा सकता है और इसका उपयोग प्री-मैच्योर शिशुओं की जान बचाने के लिए दूरदराज के इलाकों में किया जा सकता है।

PM ने देश के लोगों में पर्यावरण और प्रकृति के प्रति बढ़ती जागरूकता पर खुशी जताई

प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लोगों में पर्यावरण और प्रकृति के प्रति बढ़ती जागरूकता पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, ‘पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता हमारे लिए जीवन जीने का एक तरीका है। आज पहले से कहीं अधिक पर्यावरण के अनुकूल रहने और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के बारे में लोगों में जागरूकता देखी जा रही है … कोयंबटूर के अनाइकट्टी में आदिवासी महिलाओं की एक टीम ने निर्यात के लिए 10 हजार पर्यावरण के अनुकूल टेराकोटा चाय के कप तैयार किए। देश के विभिन्न हिस्सों में पर्यावरण संरक्षण के लिए बढ़ते उत्साह को देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। कुछ दिनों पहले भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित मिशन लाइफ भी लॉन्च किया गया है।’

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