ब्राह्मण वोटर लामबंद हो रहे हैं भाजपा के पक्ष में यमुनापार में दिख रहा है साफ़ असर
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,अस्सी के दशक तक देश का अधिकांश ब्राह्मण कांग्रेस के साथ खड़ा दिखता था जिसकी वजह कांग्रेस सुप्रीमों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर दिग्गज ब्राह्मण नेताओं को तवज्जो देना था | लेकिन इंद्रा गाँधी की हत्या के बाद कांग्रेस में ब्राह्मण नेत्रत्व खास तौर से उत्तर भारतियों को कम तवज्जो मिलने और रामजन्म भूमि आन्दोलन के बाद से ब्राह्मणों का झुकाव भारतीय जनता पार्टी की तरफ होना शुरू हो गया था | वहीं भाजपा नेत्रत्व नें ब्राह्मणों को सत्ता की चाबी समझ महत्व देना शुरू कर दिया ,सन्गठन के साथ -साथ राज्य सरकारों में भी ब्राह्मणों को की पोस्ट सम्मानस्वरूप सौंपीं जाने लगी | और यह सर्वविदित है शास्त्रों में भी इस बात का जिक्र है ब्राह्मण सम्मान के लिए ही जीता है और जहां सम्मान है वहीं ब्राह्मण खड़ा नजर आता है | दिल्ली कांग्रेस की सियासत में पार्टी नें जब तक शीला दीक्षित को नेत्रत्व सौंपा दिल्ली का ब्राह्मण उनके साथ खड़ा दिखा लेकिन शीला जी की विदाई के बाद से ही ब्राह्मण कांग्रेस से दूर होते चले गए और
आज आलम यह है कि राजधानी दिल्ली का अधिकांश ब्राह्मण वोटर भाजपा के साथ खड़ा दिख रहा है |
हालांकि कांग्रेस और आप पार्टी नें कुछ ब्राह्मण चेहरों को मैदान में जरुर उतरा है लेकिन उनमे से शायद ही कोई चेहरा ऐसा हो जो ब्राह्मणों के हक के लिए लड़ता हो | लिहाजा अधिकांश ब्राह्मण भी अपने स्वाभिमान के लिए कांग्रेस का साथ छोड़ने पर मजबूर हो गया | वैसे तो दिल्ली की करीब दो दर्जन सीटों पर ब्राह्मणों का अधिपत्य है लेकिन यमुनापार की बात करें तो बीस में से कम से कम आठ सीटें ब्राह्मण बाहुल्य मानी जाती हैं लेकिन यदि गौर करें तो कांग्रेस और आप पार्टी नें इनमे से अधिकांश पर गैर ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में उतारे है जिसका खामियाजानिश्चित रूप से दोनों को उठाना पड़ेगा इस सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता |
ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्रों की बात करें तो बाबरपुर,रोहताश नगर,शाहदरा,कृष्णा नगर,करावल नगर, घोंडा में ब्राह्मणों की आबादी निर्णायक है | अब यह नहीं समझना इन सीटों पर भाजपा जीतने जा रही है , कौन जीत रहा है कौन हार रहा है इस लफड़े में हम नहीं पड़ना चाहते लेकिन इतना जरुर समझ लेना और आप लिख कर रख लेना ब्राह्मणों की मर्जी के खिलाफ एक भी सीट का परिणाम नहीं रहने वाला | आज बस इतना ही …