Delhi: बीजेपी के राजा बने, दिल्ली के मेयर, 133 वोटों से जीते

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Delhi: बीजेपी के राजा बने, दिल्ली के मेयर, 133 वोटों से जीते

दिल्ली नगर निगम (MCD) के महापौर पद के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अपनी मजबूत स्थिति का प्रदर्शन करते हुए बड़ी जीत दर्ज की है। पार्टी के वरिष्ठ पार्षद राजा इकबाल सिंह को दिल्ली का नया मेयर चुना गया है। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार मनदीप सिंह को भारी अंतर से पराजित कर यह सफलता हासिल की। इस चुनाव में कुल 142 सदस्यों ने मतदान किया, जिसमें से एक मत को अवैध घोषित किया गया। राजा इकबाल सिंह को 133 वोट प्राप्त हुए जबकि मनदीप सिंह को केवल 8 मत मिले। इस तरह भाजपा प्रत्याशी को 125 वोटों की निर्णायक बढ़त मिली, जो पार्टी के लिए एक बड़ी रणनीतिक और राजनीतिक उपलब्धि मानी जा रही है।

कांग्रेस को इस चुनाव में केवल अपनी वर्तमान पार्षद संख्या के अनुरूप ही समर्थन मिला, जिससे यह साफ हो गया कि उसे किसी अन्य पार्टी या निर्दलीय का सहयोग नहीं मिला। इसके विपरीत भाजपा को न केवल अपने सभी पार्षदों का समर्थन मिला, बल्कि कुछ निर्दलीय और संभवतः अन्य दलों के सदस्यों का भी अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त हुआ। इससे भाजपा का मत प्रतिशत और भी मजबूत हुआ और पार्टी ने यह चुनाव पूर्ण आत्मविश्वास के साथ जीता।

राजा इकबाल सिंह की इस जीत को दिल्ली की राजनीतिक फिजा में भाजपा के लिए एक मनोबल बढ़ाने वाले क्षण के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब आम आदमी पार्टी के साथ उसका टकराव लगातार चर्चा में बना हुआ है। महापौर पद पर यह जीत भाजपा को न केवल प्रशासनिक स्तर पर मजबूती प्रदान करेगी, बल्कि नगर निगम की नीतियों और विकास कार्यों पर उसकी पकड़ को भी सशक्त बनाएगी।

चुनाव परिणाम सामने आने के बाद भाजपा खेमे में जश्न का माहौल देखने को मिला। कार्यकर्ताओं ने मिठाइयाँ बाँटीं, ढोल नगाड़ों के साथ राजा इकबाल सिंह का स्वागत किया गया और विभिन्न इलाकों में विजय रैलियाँ निकाली गईं। यह चुनाव परिणाम न केवल भाजपा की ताकत का प्रतीक बना बल्कि यह भी दिखाया कि नगर निगम में उसकी पकड़ अभी भी मजबूत बनी हुई है।

अब पार्टी की नजरें एमसीडी की स्थायी समिति और वार्ड समितियों के गठन की प्रक्रिया पर हैं, जहाँ भाजपा अपनी स्थिति को और अधिक सुदृढ़ करने का प्रयास करेगी। राजा इकबाल सिंह के समक्ष अब दिल्ली की सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने, विकास कार्यों में तेजी लाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने जैसी कई बड़ी जिम्मेदारियाँ होंगी। जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना और नगर निगम की छवि को निखारना अब उनके नेतृत्व की सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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