राजकुमारी रूपमती की आत्मकथा
नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : डॉ के एस भारद्वाज ने राजकुमारी रूपमती, जिसे बहुत बदनाम किया गया है, उनकी आत्मकथा लिख कर तर्कों के आधार पर उस षडयंत्र का पर्दाफाश किया है मुस्लिम शासकों ने रचा था. जिसे विश्वास हो, वे इसे आत्मकथा समझे. शेष ऐतिहासिक उपन्यास समझे.राजकुमारी रूपमती इतिहास की विवादित नायिका रही हैं. कुछ इतिहासकार तो उनको काल्पनिक पात्र मानते हैं जिसका सृजन आशिक मिजाज़ लेखकों और चित्रकारों ने अपने उपन्यासों और चित्रों हेतु कर डाला होगा.
मगर कुछ ऐतिहासिक तथ्य आज भी उपलब्ध हैं जो इस बात के गवाह हैं और साबित करते हैं कि राजकुमारी रूपमती जीती जागती महान संगीतज्ञ थी और मांडू दरबार की राज गायिका थी; वैसे ही जैसे अकबर के दरबार में तानसेन.मांडू में बाज़ बहादुर के महल के ऊपर बना राजकुमारी रूप का महल और सारंगपुर की झील में उनकी समाधि गवाह है कि वे काल्पनिक पात्र नहीं बल्कि सच्चाई हैं.
कुछ ऐसे तथ्य भी मिलते हैं जो इस अफवाह पर संदेह पैदा करते हैं कि राजकुमारी रूपमती बाज़ बहादुर की पत्नि थी. चरित्रहनन बहुत सुगम और पुराना तरीका है जिसकी चपेट से माता सीता तक न बच सकी थी फिर राजकुमारी रूपमती किस खेत की मूली थी?
लेखक ने अनेक तर्क देकर उन अफवाहों का जोरदार खंडन किया है जो बाज़ बहादुर के समकालीन बादशाहों और उनके चरणचुम्बक दरबारियों, लेखकों और चित्रकारों ने बाज़ को बदनाम करने हेतु फैलाई थी क्योंकि वे पठान थे जिन्होंने मुस्लिम शासकों को सदा टक्कर दी थी. और तो और अकबर जिसको अकबर महान कहा जाता था, भी शुजाअत खान (बाज बहादुर के पिता) के सम्मुख लाचार था. शेरशाह सूरी के हाथों मुँह की खाने के बाद हुमायूं तो वर्षों तक भागा भागा फिरता रहा था.
लेखक के अकाट्य तर्कों में से एक तर्क कि रूपमती के नाम के सामने रानी क्यों, सभी को निरुत्तर कर देता है? ध्यान रहे कि ब्राह्मण होते हुए भी तानसेन को मुस्लिम नाम धारण करना पड़ा था. लेखक को साधु साधु. आत्मकथा अंग्रेजी में भी है. शेष उपन्यास में.