8 साल कानूनी लड़ाई के बाद कर लिया समझौता, दिल्ली पुलिस का समय खराब करने वालों को थाने में सेवा करने की मिली सजा
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में दोनों पक्षों द्वारा समझौता करने के बाद भी दिल्ली पुलिस का आठ साल समय बर्बाद करने के लिए 45 दिन थाने में सेवा करने का शिकायतकर्ता को निर्देश दिया.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास इलाके में आठ पहले दो पक्षों में मामूली बात पर झगड़ा हुआ था. इस घटना में पीड़ित पक्ष के दो घायल हुए थे. पीड़ित पक्ष की शिकायत पर पुलिस मामला दर्ज की थी. दोनों पक्षों के न मानने पर मामला अदालत पहुंच गया. अदालत में यह विवाद पिछले आठ साल से चल रहा था. इस बीच दिल्ली पुलिस आरोपियों से पूछताछ और अदालती चक्कर में उलझी रही. अब दोनों पक्षों के लोगों ने आपसी रजामंदी से 25 जुलाई को समझौता कर लिया. समझौता होने के बाद दोनों ने कोर्ट में एफआईआर रद्द करने के लिए याचिका दाखिल की, पर ऐसा करना दोनों के पक्षों के लिए उल्टा पड़ गया.
इस मामले में शिकायतकर्ताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि वह आपराधिक मामले को आगे नहीं चलाना चाहते है, इसलिए खजूरी खास थाने में दर्ज एफआईआर रद्द कर दिया जाए. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सौरभ बनर्जी ने याचिका मिलने के बाद कहा कि इस केस में दिल्ली पुलिस का आठ साल समय खराब हुआ. इसके बावजूद अदालत ने एफआईआर दर्ज करने की अर्जी तो मंजूर कर लिया, लेकिन आरोपियों को 10 हजार रुपये दिल्ली पुलिस वेलफेयर सोसाइटी फंड में जमा कराने के आदेश दिए हैं। साथ ही एक सप्ताह के भीतर यह राशि जमा कराकर उसकी रसीद जांच अधिकारी को देनी को कहा. वहीं हाईकोर्ट ने दोनों शिकायतकर्ताओं को 45 दिनों तक खजूरी खास थाने में सेवा देने को कहा.
500 रुपये पर हुआ था विवाद
बता दें कि शिकायतकर्ता हसमुद्दीन ने सलाउद्दीन से 500 रुपये उधार ले रखे थे। हसमुदृदीन पैसा लौटाने के लिए राजी नहीं था. रकम नहीं लौटाने के चलते सलाउद्दीन ने 17 अप्रैल 2015 को हसमुद्दीन को अपने भाइयों के साथ मिलकर पिटाई कर दी थी. बीच-बचाव करने आए उसके नाबालिग भाई साजिद के सिर पर उन्होंने रॉड मार दी थी, जिससे उसका सिर फूट गया था। खजूरी खास थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 308 के तहत मामला दर्ज तीनों गिरफ्तार मामला कड़कड़डूमा कोर्ट वाद दायर किया था. घटना के बाद पीड़ित पक्ष की शिकायत पर आठ साल से मुकदमा चल रहा था, जो आपसी रजामंदी से समझौते के बाद समाप्त हो गया.