महाराष्ट्र परिणाम के बाद फिर शुरू हुई गठबंधन की चर्चा
* शीर्ष नेतृत्व ही लेगा फैसला
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,बटोगे तो कटोगे ,एक हैं तो सेफ है, जैसे नारों के बीच महाराष्ट्र में जो नतीजे आए पूरे मुल्क नें देखे ,कोई कुछ भी कहे नतीजों को इन बेतुके जुमलों नें न केवल प्रभावित किया अपितु सियासत की तस्वीर ही पलट कर ही रख दी | परिणामों से अति उत्साही भाजपा को जय श्री राम की टक्कर के नारे मिल गए | जय श्री राम के उद्घोष नें भाजपा को सत्ता की चाबी सौंपे रखी ,यह बात अलग है जनता अयोध्या मंदिर के निर्माण के साथ इस मतलबी नारे से किनारा करने लगी और अयोध्या की सीट तक भाजपा की झोली से झपट ली |
मतलबी शब्द इसलिए लिखा सब जानते हैं सत्ता के मतलब से ही भाजपा नें यह नारा दिया था | भाजपा की थिंक टीम नें नये नारे गढ़ दिए जिन्होंने मिसाइल की गति से भी तेज वार किये और रणभूमि में मिसाईल नें अपना जलवा दिखाया | हालांकि दिल्ली की जनता नें जय श्री राम के नारे तो खूब लगाये लेकिन भाजपा को विधानसभा चुनाव में लगातार पटखनी दी | तीन बार शीला दीक्षित नें तो तीन बार ही अरविन्द केजरीवाल नें सरकार बनाई और भाजपा मुंगेरी लाल की तरह सत्ता के हसीन सपने देखती रही | भाजपा को लोकसभा चुनाव में कायदे से घेरने वाले इन्डिया गठ्बन्धन की ख़ुशी ज्यादा दिन कायम नहीं रह सकी जहां पहले हरियाणा और अब महाराष्ट नें कांग्रेस सहित गठ्बन्धन को हांसिये पर लाकर खड़ा कर दिया | कांग्रेस के साथ-साथ इण्डिया गठ्बन्धन में इन नारों की काट तलाशने का काम शुरू हो चुका है लेकिन इसमें थोड़ी देर हो गई है ,यदि यह काम त्वरित गति से होता तो महाराष्ट्र में यह हश्र नहीं होता | जिस दिन बटोगे तो कटोगे नारा आया था यदि उसी दिन कांग्रेस गठ्बन्धन ही एक हैं तो सेफ हैं नारा दे देती तो तस्वीर कुछ और ही होती लेकिन भाजपा नेताओं नें दोनों नारे खुद दे डाले और एक जैसा संदेश दे बाजी कांग्रेस के हाथ से छी ली | समझ गए ना आप चित भी मेरी और पट भी मेरी ,बात हमने गठ्बन्धन से शुरू की थी और पहुंच गए नारेबाजी में | हाँ भाई इस नारेबाजी से ही शुरू हो रही हैं गठ्बन्धन की सम्भावनाएं हालंकि ये सम्भावनाये बंद भी नहीं हुई थी | हमने तो पिछले महीने ही लिख दिया था लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा भी कांग्रेस और आप मिलकर लड़ेगें |
महाराष्ट्र तथा उत्तरप्रदेश के उप चुनाव परिणामों नें अब एक बार फिर से विपक्ष के सामने गठ्बन्धन की सम्भावनाएं बना दी है | और आप यह मानकर चलिए ये होकर रहेगा | भले ही स्थानीय नेत्रत्व ना नुकर करता रहे और अपना दबाव एक दूसरे पर बनाता रहे | देवेन्द्र यादव की न्याय यात्रा की कामयाबी से भी आप पर दबाव बनता जा रहा है | यह भी मानकर चलिए फैंसला तो दोनों तरफ से हाईकमन को ही लेना है | हमने पहले भी जिक्र किया था दोनों हाईकमान गठ्बन्धन के पक्षधर हैं राहुल गाँधी हों या के.सी.वेणुगोपाल आप पार्टी के अरविन्द केजरीवाल हों या संदीप पाठक | इससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप पार्टी नें कुछ प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं अभी सिंबल थोड़े ही दे दिया ,आप देख लेना गठ्बन्धन भी होगा और कुछ घोषित प्रत्याशी भी बदले जायेगें | आज बस इतना ही …