जनता के सर्वे में तो नम्बर कम ही मिले है भाजपा के 5 विधायकों को रायशुमारी में भी पिछड़ रहे हैं दो
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,हैडलाइन पढ़ आप समझ गए होंगे कि आज फिर विधायकों के बारे में कुछ धमाका होने वाला है | जी भाई सही समझे और अब यह बात भाजपा के रणनीतिकार भी समझ गए है कि आल इज नोट वैल , मतलब सब कुछ ठीक नहीं है , जो सुनने में आ रहा है लड़ेगें तो सब लड़ेगें और कटेंगे तो सब कटेंगे | ऐसा सोचने वाले मुखालते में है ,ऐसा कतई नहीं होने जा रहा है ,पार्टी यह तय कर चुकी है सिर्फ और सिर्फ वही बचेगें जो जीत दर्ज कर सकेगें और बाकी कटेंगे | और यह भी तय है कटेंगे तो बटेंगे यानी नये चेहरों का नम्बर तभी लगेगा जब पुराने कटेंगे | खैर हम कौन बचेगें और कौन कटेंगे के लफड़े में कम से कम आज तो नहीं पड़ना चाहते | सभी हमारे मित्र है कोई युनिवर्सटी के समय के तो कोई पत्रकारिता के गोल्डन पीरियड के |
आज हम केवल यह चर्चा करने जा रहे हैं भाजपा नें दिल्ली में एक दो नहीं बल्कि तीन-तीन सर्वे कराए हैं और खासतौर से सीटिंग पर ज्यादा फोकस रहा है | तीनों सर्वे अलग-अलग एंगल से हुए हैं और ज्यादातर की रिपोर्ट एक जैसी ही है | यानी जनता के सर्वे नें सात में से पांच को खतरे की घंटी बताया है ,भैया जब काम करोगे नहीं तो सायरन तो बजेगा ही | और जब सायरन बजेगा तो पकड़ में आओगे ही | दो विधायकों की पैरवी करने लायक पोजीशन में खुद विपक्ष के नेता भी नहीं है ,उनकी शिकायतों के अम्बार जो लगे है, केवल पीड़ितों की शिकायत ही नहीं बल्कि जनता के नुमाइंदो के साथ-साथ खुद पार्टी के पदाधिकारियों नें भी उनकी पोल खोल रखी है अब आप खुद ही समझिये जब परिवार ही खिलाफ है तो जनता कैसे उनके साथ होगी और जब जनता साथ नहीं देगी तो पार्टी जीतेगी कैसे |
जबकि पार्टी का पैमाना है केवल और केवल जीत चाहिए ,ऐसे में हमे तो लगता नहीं पार्टी उन्हें मौका देगी | अब बात रायशुमारी की कर लेते हैं आपको अचरज होगा जनता के सर्वे में जहां पांच को कम नम्बर मिले हैं वहीं कार्यकर्ताओं की रायशुमारी में पांच अन्य दावेदारों पर भारी पड़े हैं | और केवल दो ऐसे हैं जोरायशुमारी में भी पिछड़ गए हैं | अब हमसे किसी का नाम नहीं पूछना ,लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों को सब जानकारी है और यदि जीत का फार्मुला अपनाया तो कुछ कटेंगे और कुछ बचेगें | इसके लिए इन्तजार करना होगा बड़ी खबर के लिए बड़े दिन तक ,यानी 25 दिस. तक आज बस इतना ही