प्रदेश अध्यक्ष और जिला अध्यक्षों को रखेगी भाजपा चुनावी जंग से दूर
* दीपावली बाद पार्टी दिखेगी चुनावी मूड में
* पचास सीटों पर नये चेहरों को मिलेगा मौका
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली,जी हाँ आप वही पढ़ पा रहे हैं जो हमने लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों को कुरुक्षेत्र के जंग की तरह लड़ना चाहती है | भाजपा राजधानी दिल्ली से अपने 26 साल के वनवास की समाप्ति के लिए इस बार मैदान में उतरने वाली है | भाजपा हर कदम फूंक-फूंक कर रखने वाली है |हरियाणा में भले ही मामूली मार्जन से भाजपा सत्ता में लौटी है लेकिन इस हैट्रिक के बड़े मायने है और पड़ोसी राज्य में मिली जीत को भाजपा दिल्ली में भी भुनाना चाहती है | भाजपा नें उसके लिए करो या मरो रणनीति के तहत मशक्कत करनी भी शुरू कर दी है |
दीपावली के बाद भाजपा में दिल्ली स्तर पर बड़े बदलाव देखने को मिल सकते है | डॉ.हर्षवर्धन अरविन्दर सिंह लवली सहित करीब एक दर्जन वरिष्ठ नेताओं को अहम जिम्मेदारियां देने की चर्चा है | केवल किसी एक को मठाधीश बनाने की परम्परा से भाजपा इस बार बचना चाहती है और हार जीत की जिम्मेदारी भी सामूहिक रूप से तय करना चाहती है लिहाजा भाजपा की रणनीति जमीनी स्तर पर मिलकर आम आदमी पार्टी से निपटने की है | भाजपा को मालुम है आम आदमी पार्टी की छवि अब पहले वाली नहीं बची यदि सामूहिक घेराबंदी की जाए तो आप पार्टी को लपेटा जा सकता है लेकिन उसके लिए व्यापक रणनीति बनानी होगी | सूत्रों का दावा है भाजपा इस बार ज्यादा से ज्यादा नये चेहरों को मैदान में उतार परिदृश्य बदलने का प्रयास करेगी |
माना जा रहा है पार्टी पचास से अधिक नये चेहरे मैदान में लाने की रणनीति बना रही है जबकि बाकी बीस स्थानों पर पूर्व सांसद या अन्य प्रभावशाली नेताओं जिनमे कुछ दूसरे दलों से शामिल हुए नेताओं को भी रण में उतार मुकाबला रोचक बनाने की रणनीति पर काम चल रहा है | किसी भी चुनाव में सन्गठन का बड़ा रोल होता है और इसमें कोई दिस दैट नहीं है कि सन्गठन के मामले में भाजपा दशकों से नम्बर वन रही है | चर्चा है रणनीति के तहत भाजपा सन्गठन में की पोस्ट पर बैठे लोगो को इस बार चुनावी जंग में उतारने की बजाये जमीनी कमान सौंपने की राह पर काम करने वाली है | समझ गए ना आप भाजपा इस बार जिला अध्यक्षों तथा प्रदेश पदाधिकारियों को आप सेना से निपटने की जिम्मेदारी सौंप सकती है | आज बस इतना ही