देश की राजधानी दिल्ली में रिटायर्ड सफाई कर्मचारियों की हो रही दुर्दशा : राहुल टांक
* अपने ही अंतिम लाभांश के इंतजार में अधिकांश हो जाते है मृत्यु को प्राप्त
नई दिल्ली( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : एम सी डी पर्यावरण सहायक यूनियन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष राहुल टांक ने बताया विषय बड़ी ही विडंबना का है कि जो सफाई कर्मचारी अपने देशवासियों को स्वच्छ वातावरण देने के लिए सुबह अंधेरे में ही अपने बच्चो को सोता हुआ छोड़कर घर से निकलता है,जो देशवासियों के स्वास्थ्य हित में दुनिया भर की धूल मिट्टी और गंदगी भरी नालियों की बदबू खाकर सैकड़ों बीमारियां अपने अंदर पालता है, कोरोना काल में भी अपनी जान की बाजी लगाई,वो ही सफाई कर्मचारी जब निगम प्रशासन द्वारा अपनी सेवा से मुक्त किया जाता है तो वो अपनी पेंशन और जीवन भर की जमा पूंजी के रूप में मिलने वाले अपने अंतिम लाभांश लेने के लिए दर दर की ठोकरें खाता है।
राहुल टांक ने बताया कि दिल्ली नगर निगम में कार्यरत सफाई कर्मचारी हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में अपनी सेवा से मुक्त तो होते है लेकिन उन्हें अपनी पेंशन व अंतिम लाभांश समय पर ना मिलने के कारण दफ्तरों के धक्के खा खाकर ज्यादातर बुज़ुर्ग सेवानिवृत कर्मचारी मृत्यु को प्राप्त हो जाते है। अपने कार्यकाल के दौरान सुरक्षा उपकरणों के अभाव में काम करते हुए सफाई कर्मचारी बीमार पड़ता,अपना इलाज कराकर लाखों रुपए का कर्जवान हो जाता है,उसकी कमाई का ज्यादातर हिस्सा ब्याज के रूप में साहूकारों को चला जाता है,और जब वो रिटायर होता है तो खाली हाथ हताश होकर अपने घर चला जाता है,क्योंकि ज्यादातर कर्मचारी बीमारी के चलते अपनी छुट्टियां भी गवां देते है इसलिए उन्हें लीव इन कैशमेंट की राशि भी पूरी नही मिल पाती। उसके बाद पेंशन के लिए कई महीनों तक दफ्तर के चक्कर लगाना,,और बकाया अंतिम लाभांश तो 4 से 5 साल तक भूल ही जाओ। कर्मचारी अपने रिटायरमेंट से पहले ही अपने परिवार के लिए योजना बना कर रखता है कोई अपने बच्चों की शादी तो कोई मकान खरीदने का सपना संजों के रखता है।लेकिन निगम प्रशासन की मजदूर विरोधी नीति के कारण कर्मचारी के सारे सपने चकनाचूर हो जाते है।
राहुल टांक ने केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार से प्रार्थना की है कि इस संवेदनशील विषय पर जल्द से जल्द संज्ञान लें साथ ही निगम प्रशासन व शासन से आग्रह किया है कि संबंधित अधिकारियों पर नकेल कसते हुए अपनी इस मजदूर विरोधी व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास प्रयास करें।अन्यथा ये बुजुर्ग कर्मचारी बुढ़ापे की अवस्था में सड़कों पर आने के लिए मजबूर हो चुके है।