वाराणसी गैंगरेप मामला: दिनभर मेडिकल, रात में पेशी; पुलिस की भूमिका पर सवाल
वाराणसी में युवती से गैंगरेप के मामले में पुलिस की कार्रवाई एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। इस सनसनीखेज मामले में पुलिस ने मंगलवार को 23 में से 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, लेकिन पूरी प्रक्रिया में पुलिस की सुस्ती, ढील और आरोपियों से करीबी को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं।
दिनभर मेडिकल, रात में कोर्ट
गिरफ्तार आरोपियों को पुलिस सुबह से लेकर देर रात तक अस्पताल और पुलिस लाइन में घुमाती रही। पहले सभी को दीनदयाल अस्पताल ले जाकर मेडिकल परीक्षण कराया गया, जिसमें फिटनेस टेस्ट, ब्लड, सीमेन, नाखून और त्वचा के नमूने लिए गए। फिर उन्हें पुलिस लाइन लाया गया, जहां काफी समय तक आरोपियों को वैन में बैठाकर रखा गया। बाद में गेट नंबर-3 से होते हुए कड़ी सुरक्षा के बीच सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को गंभीर अपराध मानते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
पुलिस की भूमिका संदिग्ध
पूरे दिन आरोपियों के साथ पुलिस की नजदीकी और ढीलभरी कार्यशैली चर्चा का विषय रही। पुलिसकर्मी आरोपियों से बातचीत करते दिखे, जबकि मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्ती की अपेक्षा थी। आरोप है कि पुलिस ने मीडिया से बचने के लिए बार-बार लोकेशन बदली और आरोपियों को एक जगह से दूसरी जगह घुमाती रही।
भीम आर्मी का हमला, पुलिस मूकदर्शक
मंगलवार को मेडिकल के दौरान अस्पताल के बाहर भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने आरोपियों पर हमला कर दिया। एक कार्यकर्ता ने आरोपी इमरान के बाल नोच डाले और उसकी पिटाई की। पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे, लेकिन शुरुआत में मूकदर्शक बने रहे। बाद में हमलावरों को हिरासत में लेकर लालपुर थाने भेजा गया।
आरोपियों की पृष्ठभूमि: स्पा संचालक, छात्र और कारोबारी
गिरफ्तार आरोपियों में स्पा सेंटर संचालक, होटल कर्मचारी, कारोबारी और छात्र शामिल हैं। स्पा संचालक पहले भी सेक्स रैकेट मामले में जेल जा चुका है। सभी का हुक्का बार से संबंध बताया जा रहा है, जहां पर युवती से दोस्ती और फिर शोषण की कहानी शुरू हुई। आरोप है कि युवती को नशा देकर अनैतिक कार्यों के लिए मजबूर किया जाता था।
पुलिस पर राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का दबाव
इस मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर स्थानीय लोग, सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल लगातार सवाल उठा रहे हैं। आरोप है कि शुरुआत से ही पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश में लगी रही, जिससे केस को कमजोर किया जा सके।
यह मामला केवल एक गंभीर अपराध का नहीं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया और पुलिस की निष्पक्षता की परीक्षा भी बन गया है। अब देखना होगा कि कोर्ट की निगरानी में जांच कैसे आगे बढ़ती है और पीड़िता को न्याय कितनी जल्दी मिलता है।