Assam Flood 2025: पूर्वोत्तर में बाढ़ से हाहाकार: असम-सिक्किम में तबाही, पीएम मोदी ने की स्थिति की समीक्षा

0
14

Assam Flood 2025: पूर्वोत्तर में बाढ़ से हाहाकार: असम-सिक्किम में तबाही, पीएम मोदी ने की स्थिति की समीक्षा

पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य इन दिनों विनाशकारी बाढ़ की चपेट में हैं, जहां हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नागालैंड में भारी बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं, फसलें तबाह हो चुकी हैं और बुनियादी सुविधाएं ठप हैं। हालात इतने खराब हो गए हैं कि कई स्थानों पर राहत पहुंचाना भी चुनौती बन गया है।

मंगलवार को असम में बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो गई। राज्य में छह और लोगों की जान चली गई, जिससे सिर्फ असम में इस साल बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 17 तक पहुंच गई है। वहीं पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की बात करें तो मरने वालों का आंकड़ा अब 48 को पार कर गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस त्रासदी पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने असम और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से भी फोन पर बातचीत की और राहत व पुनर्वास की रणनीतियों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने यह आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस आपदा से निपटने में हर संभव मदद देगी और प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराएगी।

अधिकारियों के अनुसार, यह आपदा 29 मई से शुरू हुई लगातार बारिश के कारण और अधिक भयावह हो गई है। अकेले असम में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं अरुणाचल प्रदेश में 12, मेघालय में 6, मिजोरम में 5, सिक्किम में 4, त्रिपुरा में 2 और नागालैंड व मणिपुर में एक-एक व्यक्ति की जान गई है।

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) की ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के 21 जिलों में आई बाढ़ ने 6.33 लाख से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। 1506 गांव जलमग्न हो गए हैं और 14,739 हेक्टेयर से ज्यादा की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। ब्रह्मपुत्र नदी सहित राज्य की छह अन्य प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे निचले इलाकों में हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।

स्कूल, अस्पताल और सड़कों जैसी बुनियादी सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। कई जगहों पर बिजली और संचार व्यवस्था ठप है। राहत शिविरों में हजारों लोगों को अस्थायी आश्रय दिया गया है, लेकिन सुविधाएं सीमित हैं। जलजमाव की वजह से महामारी फैलने का खतरा भी मंडरा रहा है।

सरकार के साथ-साथ सेना, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। हेलीकॉप्टरों के माध्यम से दूरदराज़ के इलाकों में खाद्य सामग्री और दवाएं पहुंचाई जा रही हैं। लेकिन भारी बारिश और लगातार बढ़ते जलस्तर के चलते प्रयासों में बाधाएं आ रही हैं।

यह आपदा सिर्फ प्राकृतिक संकट नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक जीवन पर भी गहरा असर डाल रही है। कृषि, व्यापार और आवागमन पूरी तरह से ठप हो चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बारिश का सिलसिला नहीं रुका तो हालात और बिगड़ सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर त्वरित और दीर्घकालिक समाधान निकालने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी तबाही से बचा जा सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here