Bulldozer Action Kashi: काशी में चला बुलडोजर: चचिया और पहलवान लस्सी की दुकानों समेत 35 से अधिक दुकानें जमींदोज, बीएचयू की स्मृतियों पर पड़ा असर
वाराणसी में विकास के नाम पर एक बड़ा और भावनात्मक फैसला लिया गया, जब लंका चौराहे पर स्थित ऐतिहासिक और स्थानीय भावनाओं से जुड़ी दुकानों पर बुलडोजर चला दिया गया। वीडीए (वाराणसी विकास प्राधिकरण) और लोक निर्माण विभाग ने पुलिस बल की मौजूदगी में मंगलवार देर रात लंका से लेकर विजया मॉल भेलूपुर तक फोरलेन सड़क परियोजना के लिए यह कार्रवाई की। इस दौरान 35 से अधिक दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया, जिनमें शहर की पहचान बन चुकी ‘चचिया की कचौड़ी-जलेबी’ और ‘पहलवान लस्सी’ की दुकानें भी शामिल थीं।
यह कार्रवाई भिखारीपुर तिराहा से होकर विजया मॉल तक बनने वाली चौड़ी फोरलेन सड़क के निर्माण को लेकर की गई। कई वर्षों से संकरी सड़कों और यातायात की समस्या से जूझ रहे इस इलाके में अब एक नया मार्ग विकसित किया जा रहा है, लेकिन इसके लिए जिन दुकानों को हटाया गया, वे केवल व्यापारिक स्थल नहीं थीं, बल्कि बनारस की सांस्कृतिक पहचान और बीएचयू छात्रों की यादों का हिस्सा थीं।
प्रशासन द्वारा इन दुकानदारों को पहले से ही नोटिस जारी कर दिए गए थे, जिसके चलते अधिकतर दुकानदारों ने समय रहते अपनी दुकानें खुद ही खाली कर दी थीं। फिर भी, जब बुलडोजर पहुंचा, तो माहौल भावनात्मक हो गया। पहलवान लस्सी वाले दुकानदार इतने भावुक हो गए कि खुद बुलडोजर के सामने खड़े हो गए। थाना लंका के प्रभारी निरीक्षक शिवाकांत मिश्र और स्थानीय लोगों ने उन्हें समझा-बुझाकर हटाया।
चचिया की दुकान—जो कचौड़ी और जलेबी के लिए देशभर में मशहूर रही—अब अतीत की बात बन गई। इस दुकान की खास बात थी कि इसके संस्थापक ‘चचिया’ की एक खास शैली, उनका लहजा, और प्यार भरी गालियाँ तक बीएचयू के छात्र जीवन की स्मृतियों में दर्ज थीं। देश-विदेश से जब पूर्व छात्र काशी लौटते, तो चचिया की दुकान पर आकर उनका कचौड़ी-जलेबी खाना और पुरानी यादें ताज़ा करना एक रिवाज बन चुका था।
पहलवान लस्सी की दुकान भी इसी तरह एक स्वाद और स्मृति का केन्द्र रही, जहां नेता से लेकर अभिनेता तक ठहर जाते थे। इन दुकानों पर फिल्मी सितारों, राजनेताओं और प्रोफेसरों की मौजूदगी आम बात थी, जो इस क्षेत्र की लोकप्रियता और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाती थी।
बताया जा रहा है कि चचिया की दुकान के लिए पहले से खंडेलवाल कटरा में एक वैकल्पिक स्थान लिया गया था, जहाँ अब भविष्य में यह दुकान शिफ्ट हो सकती है। हालांकि, स्थानीय लोगों के लिए यह स्थान उतना भावनात्मक नहीं हो सकता जितना लंका चौराहे की वह ज़मीन थी, जो अब फोरलेन सड़क का हिस्सा बनने जा रही है।
काशी के इस हिस्से में हुए इस बुलडोजर एक्शन ने भले ही शहर के भविष्य की दिशा में एक कदम बढ़ाया हो, लेकिन अतीत की खुशबू, स्वाद और स्मृतियाँ कहीं पीछे छूट गई हैं।