दिल्ली मे भाजपा का झुग्गी रात्रि प्रवास कमल को खाद देकर, पालता पोसता दिख रहा है
– संदीप त्यागी –
नई दिल्ली ,दिल्ली की सत्ता से पिछले 26 वर्षो का लम्बा बनवास काट चुकी भाजपा का अपने सभी स्तर के नेताओ सहित दिल्ली की झुग्गी बस्तियों मे रात्रि प्रवास करना एक अच्छा अनुभव व परिणाम देकर जायेगा |
दिल्ली विधानसभा मे 12 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों के अलावा लगभग 30 विधानसभा सीटों नरेला, मुंडका, नांगलोई, नजफगढ़, उत्तम नगर, विकासपुरी, द्वारका, मटियाला, आर के पुरम, बिजवासन, महरौली, छतरपुर, बदरपुर, कालकाजी, तुगलकाबाद, ओखला, लक्ष्मी नगर, गांधी नगर, सीलमपुर, बाबरपुर, रोहताश नगर, करावल नगर, तिमारपुर, बुराड़ी, आदर्श नगर, शकूर बस्ती विधानसभा की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले मतदाता भाजपा का परंपरागत वोट नही रहा है, लेकिन इस बार लगता है कि भाजपा के कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से भाजपा की ओर खिसक जाए, इन कयासों से भाजपा सत्ता संभालने का पूरा मन बना कर, अपना ध्यान केंद्रित कर भाजपा का एक एक नेता को इस हड्डियां कड़ कड़ाती ठंड में झुग्गी मे रात्रि प्रवास करा रही है झुग्गियों के बच्चों,बुजुर्गों, व महिलाओं के अनुसार खेल,शिक्षा, रसोई, आंतरिक स्वास्थ्य, जैसे परंपरागत विषयों को अपनाकर झुग्गियों में जाना भाजपा को सभी राजनैतिक दलों से अलग बनाता है, क्योकि अभी तक ईन झुग्गीवासियों ने जिन्हे अपना सब कुछ मानकर बिना किसी शर्तो अपना समर्थन देते आये है, उन सभी राजनैतिक दलों ने झुग्गीवासियों को निराश ही किया है.
पहली बार किसी राजनैतिक दल का दिल्ली की स्लम बस्ती यानी झुग्गी बस्तियों में निरंतर जाना और प्रत्येक सप्ताह अपनी उपस्थिति झुग्गी वासियों के आकर्षण का विषय बनी हुई है, झुग्गी मे रहने वाले लोग भी हर रविवार को झुगियों मे अनेक तेयारी कर भाजपा के नेताओ के लिए दिल खोलकर स्वागत करते हुए दिखते है जिससे भाजपा दिल्ली प्रदेश भी कोई कोताही नही बरत रहा है, हर स्तिथि संभालते हुए भाजपा ने मे इस इकट्ठा वोट बैंक को अपने पक्ष में कर लिया तो भाजपा को सत्ता की कुर्सी तक पहुँचना बहुत आसान होगा…
वैसे भाजपा रही हो या जनसंघ प्रवास करना इनके संस्कारों में रहा है,,,, प्रवास करना 2 सीटों से 325 सीटों का सफर तय कर चुकी भाजपा की सफलता का मूल मंत्र है जो उसे अपने मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं संघ से वरदान मे मिला है, जिसका जीता जागता प्रमाण वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह जी के अध्यक्षीय कार्यकाल में हुए बंगाल विधानसभा के हुए चुनाव से पूर्व अमित शाह का पश्चिमी बंगाल के उन उन एरिया में जाना और रात्रि प्रवास करना, जहाँ भाजपा संगठन तो दूर, भाजपा का नाम लेने वाला भी नही था, शाह जी के प्रयासों से चुनाव परिणामों मे अप्रत्याशित सफलता मिली थी, कि चुनाव मे भाजपा को बढ़त से रोकने के लिए चुनाव से पूर्व कांग्रेस को चुनाव से दूरी बनानी पड़ी थी और अपना समर्थन तृणमूल कांग्रेस को दे दिया था!!
आज की नई भाजपा अपने मूल संस्कारों के साथ सांगठनिक तालमेल, धरातल पर आकर काम करना भाजपा को सत्ता के शिखर की और जाने का इशारा कर रहा है, जिसमे प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा एक विजेता टीम के कप्तान तरह हर मोर्चे पर दृढ़ता से सभी का सहयोग लेकर चलना, एक अनुभवी मंजे हुए राजनैतिक खिलाड़ी को प्रस्तुत करता है,, अब भाजपा को चाहिए कि सभी मतभेदों को मिटा कुछ घिसे पीटे पुराने नेताओं को दरकिनार सिर्फ और सिर्फ युवा, जिताऊ, नये चेहरों को उम्मीदवारों को बना मैदान मे उतारे, भाजपा के पिछले विधानसभा के चुनावो के अनुभव के आधार पर नजर डाले, तो 2015 और 2020 विधानसभा चुनावो मे कुछ ऐसे उम्मीदवार उतार दिये गए, जो जमीनी स्तर पर बहुत कमजोर साबित हुए थे, लेकिन केंद्रीय नेताओ की परिक्रमा के कारण टिकट लेने मे कामयाब रहे थी.
अभी तक दिल्ली की हर स्तिथि भाजपा के अनुकूल है, बाकी रह गया है तो भाजपा शीर्ष नेतृत्व का अरविंद केजरीवाल की हर चाल और हर ब्यान का सकरात्मक जबाब समय से आये,कि दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल की किसी भी फरेबी चाल मे न फस जाए, क्योकि अरविंद केजरीवाल चुनाव के अंतिम सप्ताह मे भी खेला करने मे माहिर है, एक दिल्ली के लिए अनुकूल शपथपत्र बने, जिससे दिल्ली की जनता का विश्वास और बढ़ सके, चुनाव मे सकरात्मक उत्तेजित प्रचार की आकर्षक योजना बने, और उसपे अमल भी हो, आगामी विधानसभा का एक पक्ष यह भी कि दिल्ली की टीम कांग्रेस मे आज भी कोई खास दम और जोश नही दिख रहा है, कि वह 8-10 सीटो से ज्यादा पर अपनी मजबूत उपस्तिथि दर्ज करा पाए, क्योकि आज भी कांग्रेस मे ऐसे नेताओ लंबी लिस्ट जो चुनाव से बचना चाहते हैं, दिल्ली कांग्रेस मे कोई चेहरा भी दिल्ली के लिए आगे आता नही दिखता, कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव दिल्ली की यात्रा की व्यस्तता के बाद अपने विधानसभा मे घिरे नजर आ रहे, अजय माखन नई दिल्ली और शहरी दिल्ली से बाहर नही निकलना चाहते, दिल्ली देहात मे जायेंगे नही, यमुनापार् जायेंगे नही, तो दिल्ली मे महौल केसे बनेगा.