भाजपा नें खुद बिगाड़ा अपना खेल ,टिकिट बंटवारे में हुई फेल

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भाजपा नें खुद बिगाड़ा अपना खेल ,टिकिट बंटवारे में हुई फेल

भाजपा नें खुद बिगाड़ा अपना खेल ,टिकिट बंटवारे में हुई फेल

         कई सीटों पर दिया आप पार्टी को वाक् ओवर

                       – अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,हैडलाइन में लिखी बात केवल हम ही नहीं कह रहे हैं अपितु भाजपा के अनेक कार्यकर्ता भी कह रहे हैं | इतना ही नहीं कई इलाकों के आम लोगो की जुबान पर भी यही चल रहा है | भाजपा नें जब अपनी पहली लिस्ट जारी की थी तभी यह एहसास हो गया था कि दूसरी लिस्ट भी कुछ ऐसी ही होगी जो कार्यकर्ताओं में जोश नहीं भर पाएगी | करीब डेढ़ माह पूर्व दिल्ली में जो बदलाव की चर्चा चल रही थी निश्चित रूप से उसमें ब्रेक लग गया है | दरअसल प्रत्याशी चयन को ले जिस तरह का माहौल बनाया गया था वह धरा का धरा ही रह गया |

पार्टी नें जो सर्वे कराया था उसमें पार्टी की सरकार बनती दिख रही थी लेकिन उसके बाद घोषणाओं  के बाजीगर अपना पिटारा ले जनता के बीच पहुंचे तो सारे समीकरण उल्ट पुलट हो गए और भाजपा के रणनीतिकार पुराने आंकड़ों में ही उलझे रहे तथा  प्रत्याशी चयन में गच्चा खा गए | ना तो जातीय समीकरणों को ध्यान में रखा गया और ना ही जमीनी कार्यकर्ताओं को तवज्जो दी गई |

दूसरे दलों से पार्टी में शामिल हुए एक दर्जन से ज्यादा नेताओं को प्रत्याशी बनाना भी भाजपा को भारी पड़ने वाला है इस सम्भावना  से इनकार नहीं किया जा सकता जबकि उन्ही क्षेत्रों से भाजपा के मजबूत दावेदार ताकते रह गए | हालांकि कुछ मजबूत चेहरे भी उतारे गए है और उनकी जीत भी निश्चित है जिसकी चर्चा हम बाद में करेगें | करीब दो माह पूर्व यह चर्चा थी निगम पार्षदों को शायद ही मौका मिले लेकिन आप पार्टी द्वारा करीब दस पार्षदों को मैदान में उतारनें  के बाद भाजपा नें भी अभी तक एक दर्जन पार्षदों को मौका दे अन्य मजबूत दावेदारों को रेस से बाहर कर दिया | इसके पीछे पार्टी की सोच थी पार्षद कम से कम एक वार्ड में तो बढत ले ही लेगा लेकिन रणनीतिकार यह भूल गए निगम चुनाव हों या विधानसभा अथवा लोकसभा चुनाव सभी में मुद्दे और समीकरण कम से कम दिल्ली में तो अलग-अलग ही रहते हैं | जो निगम पार्षद और भी ज्यादा जमीनी है और उनका नम्बर नहीं लगा तो उनका नाराज होना भी स्वभाविक है उनके मन में भी आएगा उनकी कमीज मेरी कमीज  से सफेद कैसे | समझ गए ना आप इधर कुआँ तो उधर खाई,यानी भाजपा की मुसीबत आई | जहां तक सीटिंग विधायकों का सवाल था पार्टी यह भांप कर भी  जान कर  अनजान बन गई कि क्षेत्र में उनका कितना जबर्दस्त विरोध है | और आप देख लेना इसका खामियाजा पार्टी को भरना पड़ेगा | एक क्षेत्र में तो पोस्टर तक लग गए मोदी जी से बैर नहीं और विधायक तेरी खैर नहीं ,एक तरफ आप विपरीत हालात में भी पांच बार जीते विधायक का क्षेत्र बदल उन्हें मुसीबत में डाल रहे हो ,जहां उन्हें अपनी पार्टी के अन्य सशक्त दावेदारों के विरोध का सामना करना पड़ेगा  वहीं दूसरी ओर चंद वोटो से जीते को रिपीट कर रहे हो | जनाब ये दिल्ली की जनता है सब जानती है ,आपकी हवा नहीं है जिसे प्रत्याशी बना दोगे वो विधायक बन जाएगा |

वैसे  ये पार्टी का इंटरनल मामला है लेकिन पार्टी को यह ध्यान रखना चाहिए बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है | दोनों सूची देख हमें तो लगता नहीं घड़ा तो क्या सुराही भी भर पाएगी | तीसरी सूची भी यदि इसी तर्ज पर बनी तो समझ लेना गई भैंस पानी में | आज बस इतना ही …

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