Ankita Bhandari Murder Case: अंकिता भंडारी हत्याकांड: 2 साल 8 महीने बाद फैसले की घड़ी, आज कोटद्वार कोर्ट सुनाएगी निर्णय
उत्तराखंड के सबसे संवेदनशील और बहुचर्चित मामलों में से एक, अंकिता भंडारी हत्याकांड का फैसला आज कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में सुनाया जाएगा। यह वह मामला है, जिसने न केवल राज्य की राजनीति को हिलाया, बल्कि देशभर में आक्रोश की लहर फैलाई थी। 18 सितंबर 2022 को यमकेश्वर स्थित वनंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत 19 वर्षीय अंकिता की हत्या कर दी गई थी। उसकी लाश पांच दिन बाद चीला नहर से बरामद हुई थी। आज, दो साल आठ महीने की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, न्याय की घड़ी आ चुकी है।
अदालत शुक्रवार को इस हाई प्रोफाइल केस में दोषियों को सजा सुनाने जा रही है। इस दिन का इंतज़ार न केवल पीड़िता के परिवार को है, बल्कि पूरे उत्तराखंड और देशभर के उन लोगों को भी, जो इस केस को लगातार फॉलो करते आए हैं। कोर्ट के फैसले को लेकर पूरे प्रदेश में हलचल है और कोटद्वार में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। कोर्ट परिसर के भीतर और बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। अतीत में आरोपियों पर कोर्ट परिसर के बाहर हमले हो चुके हैं, ऐसे में किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षाबलों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं।
अंकिता की हत्या ने राज्य को हिला कर रख दिया था। जब उसकी गुमशुदगी की खबर फैली, तब उसके माता-पिता ने पुलिस और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई। सोशल मीडिया पर मामला उठने के बाद पुलिस पर दबाव बना और कार्रवाई तेज़ हुई। रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य, जो एक पूर्व बीजेपी नेता का बेटा है, और उसके दो साथी सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में तीनों ने हत्या की बात कबूल की और बताया कि अंकिता को चीला नहर में धक्का दे दिया गया था।
इस हत्याकांड की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया, जिसने महीनों की छानबीन के बाद अदालत में 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। इस चार्जशीट में 97 गवाहों को नामित किया गया, जिनमें से 47 गवाहों को अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में प्रस्तुत किया। जांच में सामने आया कि अंकिता पर रिजॉर्ट में आने वाले वीआईपी मेहमानों को “स्पेशल सर्विस” देने का दबाव डाला जाता था। जब उसने इससे इनकार किया, तो उसी दिन उसकी हत्या कर दी गई।
मामला केवल एक हत्या का नहीं रहा, बल्कि यह उत्तराखंड में सत्ता, पैसों और प्रभाव की मिलीभगत का प्रतीक बन गया। जनता के आक्रोश के कारण सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए रिजॉर्ट को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था। जनता और मीडिया के दबाव ने इस केस को देशव्यापी मुद्दा बना दिया।
अब जब न्याय की अंतिम घड़ी आ चुकी है, सवाल यह है कि क्या अंकिता को आज न्याय मिलेगा? क्या वह कानून, जो अक्सर ताकतवरों के सामने झुक जाता है, आज पीड़िता के पक्ष में खड़ा होगा? दो साल आठ महीने की लड़ाई, 500 पेज की चार्जशीट, 97 गवाह, और जनता का दबाव—इन सबका क्या कोई परिणाम निकलेगा या मामला और खिंचेगा?
उत्तराखंड और देशभर की निगाहें आज कोटद्वार कोर्ट पर टिकी हैं, जो सुबह 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगी। यह फैसला न केवल अंकिता के लिए न्याय होगा, बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए भी उम्मीद की किरण बनेगा, जो अपने आत्मसम्मान और सुरक्षा के लिए हर दिन संघर्ष करती हैं।