Chhath Puja Delhi: दिल्ली में छठ महापर्व की रौनक, यमुना घाटों से लेकर स्टेशनों तक आस्था का सैलाब
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली एक बार फिर लोक आस्था के सबसे बड़े पर्व छठ महापर्व के उल्लास में डूबी नजर आ रही है। सरकार से लेकर समाज तक हर स्तर पर इस पर्व की भव्य तैयारियां की जा रही हैं। यमुना तट के घाटों पर सजावट, रोशनी और सुरक्षा व्यवस्था से लेकर कॉलोनियों और सोसायटियों में पूजा समितियों की सक्रियता तक, हर जगह छठ मइया की आराधना की गूंज सुनाई दे रही है। दिल्ली सरकार, नगर निगम और समाजिक संगठनों के संयुक्त प्रयासों से पूरा माहौल छठमय हो गया है। फिर भी हर साल की तरह इस बार भी लाखों लोग अपने मूल निवास बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड की ओर लौट रहे हैं। उनके लिए यह यात्रा केवल घर वापसी नहीं बल्कि अपनी जड़ों, मिट्टी और परंपरा से जुड़ने का भावनात्मक अवसर होती है।
दिल्ली रेलवे स्टेशनों पर आस्था की भीड़
दिल्ली के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर शुक्रवार को यात्रियों का सैलाब उमड़ पड़ा। दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पटना और भागलपुर जाने वाली ट्रेनों में भारी भीड़ रही। कई यात्रियों के पास रिजर्व टिकट न होने के बावजूद उनके उत्साह में कोई कमी नहीं थी। दरभंगा के लिए रवाना हो रहे संदीप कुमार ने कहा, “घर जाकर ही छठ मनाना जरूरी है। दिल्ली में घाट हैं, पूजा है, लेकिन जो अपनापन गांव में है वो कहीं नहीं। मां के हाथों अर्घ्य देने और गांव के तालाब में सूर्य को नमन करने का आनंद यहीं मिलता है।”
समस्तीपुर की रहने वाली चांदनी अपने परिवार के साथ नई दिल्ली स्टेशन पहुंचीं। उन्होंने कहा, “छठ केवल पूजा नहीं बल्कि परंपरा और परिवार का उत्सव है। मेरी सास हर साल व्रत रखती हैं, पूरा परिवार एक साथ होता है, इसलिए वहां रहना जरूरी है।” गुड़गांव में नौकरी करने वाले पिंटू कुमार ने कहा कि सालभर बाहर रहने के बाद छठ ही ऐसा मौका होता है जब पूरा परिवार एक साथ होता है।
मुजफ्फरपुर की रेनू कुमारी ने बताया, “मैं पहली बार व्रत रख रही हूं। परंपरा है कि पहली बार मायके में ही पूजा की जाती है, इसलिए चाहे जनरल टिकट ही क्यों न हो, घर जाना जरूरी है।” मंगोलपुरी के निवासी राजकुमार ने कहा, “छठ अपनों के साथ ही पूर्ण होती है। दिल्ली की तैयारियां चाहे जितनी भव्य हों, दिल गांव के घाटों पर ही लगता है।”
सरकार और प्रशासन की तैयारियां पूरी रफ्तार पर
दिल्ली में यमुना तट के घाटों को सजाने-संवारने का काम जोर-शोर से चल रहा है। सांसद मनोज तिवारी और मंत्री कपिल मिश्रा ने दो दिन पहले घाटों का निरीक्षण किया। वहीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने खुद घाटों पर जाकर सफाई और सजावट का जायजा लिया और कर्मियों के साथ हाथ बंटाया। उन्होंने कहा, “इस बार छठ पूजा स्वच्छ और निर्मल यमुना के जल में होगी। सरकार विकास और परंपरा को साथ लेकर चलने के संकल्प के साथ काम कर रही है।”
समाज कल्याण मंत्री रविन्द्र इन्द्राज ने बताया कि इस वर्ष दिल्ली में लगभग 1300 स्थलों पर छठ पूजा का आयोजन किया जाएगा। यमुना तट पर 17 मॉडल घाट बनाए जा रहे हैं, जबकि हर सब-डिवीजन स्तर पर एक-एक मॉडल छठ घाट तैयार किया जा रहा है। करीब 200 घाटों पर भोजपुरी और मैथिली में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ होंगी। सभी घाटों पर टेंट, बिजली, सफाई, पेयजल, मोबाइल शौचालय और चिकित्सा वैन की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए पुष्पवर्षा और भव्य स्वागत द्वार भी तैयार किए जा रहे हैं।
एमसीडी की स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने बताया कि नगर निगम ने सभी वार्डों में छठ पूजा के सुचारू आयोजन के लिए फंड जारी किया है। प्रति वार्ड 40,000 रुपए की राशि प्रकाश व्यवस्था के लिए दी गई है। निगम के विद्युत विभाग ने 250 वार्डों में 841 छठ घाटों की पहचान की है और वहां लाइटिंग कार्य तेजी से किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “उचित प्रकाश व्यवस्था न केवल उत्सव में रंग भरेगी बल्कि बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।” एमसीडी ने कहा कि छठ पूजा के दौरान श्रद्धालुओं को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण मिले, इसके लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
दिल्ली में इस बार का छठ महापर्व केवल परंपरा का प्रतीक नहीं, बल्कि स्वच्छता, सुरक्षा और सामूहिक आस्था का अद्भुत संगम बनने जा रहा है।


