दिग्गजों को पटखनी दे प्रत्याशी बने कन्हैया बन सकते हैं दिल्ली कांग्रेस का नया चेहरा

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दिग्गजों को पटखनी दे प्रत्याशी बने कन्हैया बन सकते हैं दिल्ली कांग्रेस का नया चेहरा
दिग्गजों को पटखनी दे प्रत्याशी बने कन्हैया बन सकते हैं दिल्ली कांग्रेस का नया चेहरा

दिग्गजों को पटखनी दे प्रत्याशी बने कन्हैया बन सकते हैं दिल्ली कांग्रेस का नया चेहरा
* शीला दीक्षित की तर्ज पर डवलप होगी नई लीडरशिप
– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,आप भी सोच रहे होंगे दिल्ली की सियासत में नये-नये जन्मे कन्हैया का भविष्य ही हमने तय कर दिया | और सीधे ही उन्हें बना डाला दिल्ली कांग्रेस का नया चेहरा | जी हैं ऐसा होना लगभग तय है ,आप खुद विश्लेषण कर सकते हैं जिस उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से कन्हैया उम्मीदवार बनाये गए हैं वहां से दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली,पूर्व अध्यक्ष अनिल चौधरी,पूर्व सांसद और स्व.मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सुपुत्र संदीप दीक्षित जैसे दिग्गज दावेदार थे, लेकिन नम्बर लगा कन्हैया का |

जिन दावेदारों का हमने जिक्र किया वे कोई साधारण नेता नहीं है तीनों पार्टी हाईकमान में पकड़ रखते हैं | और सभी के तरकश में तीर भी थे लेकिन निशाना कन्हैया का ही लगा | चुनाव परिणाम क्या होगा सवाल इस बात का नहीं है, पार्टी नें कन्हैया को उसी उत्तर पूर्वी दिल्ली से मैदान में उतारा है जहां से शीला दीक्षित का उदय हुआ था और शीला जी के आते ही उस समय के दिग्गज .एच.के.एल.भगत ,जगदीश टाइटलर,सज्जन कुमार,दीप चंद बन्धु,चौ.प्रेम सिंह जैसे दिग्गज कांग्रेस की राजनीति में लगभग हासिये पर पहुंच गए थे | समझ गए ना आप हमारे इशारे में कितना दम है | आपको याद दिला दें शीला जी वह चुनाव हार गई थी और दिल्ली की सियासत से उनका दूर-दूर तक कोई लेना देना भी नहीं था बावजूद इसके कांग्रेस नें सभी दिग्गजों को दरकिनार करते हुए शीला दीक्षित को ना केवल दिल्ली कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपी बल्कि पूरे डेढ़ दशक तक दिल्ली की पूरी सियासत ही सौंप दी थी | और शीला जी नें अपनी सूझबूझ से ना केवल कांग्रेस को बल्कि दिल्ली को ही सवांर डाला था | कमोवेश कांग्रेस में वही हालात फिर से पैदा हो गए हैं | एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए गुटबाजी जोरों पर है जिसके चलते हाईकमान को फिर से उसी तर्ज पर दिल्ली कांग्रेस के लिए दिल्ली से बाहर के नेत्रत्व को लाना पड़ रहा है | पार्टी हाईकमान तो दो साल पहले ही दिल्ली कांग्रेस की कमान कन्हैया को सौंपने के मूड में था लेकिन कन्हैया ही उसके लिए तैयार नहीं थे | दिल्ली कांग्रेस के सभी बड़े नेता आने वाले समय को भांप रहे हैं लेकिन उनके पास ज्यादा विकल्प भी नहीं है | कन्हैया चुनाव कैसे लड़ेगें कौन उनकी मदद करेगा कौन नहीं इस पर फिर कभी चर्चा करेगें | आज बस इतना ही …

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