जैन संत लोकेश मुनि समेत कुछ अन्य धर्मगुरुओं की मौजूदगी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ‘ओम’ और ‘अल्लाह’ तथा मनु और पैगंबर आदम को एक बताते हुए रविवार को दावा किया कि बहुसंख्यक समाज के ‘पूर्वज हिंदू नहीं थे बल्कि मनु थे जो एक ओम यानी अल्लाह की इबादत करने वाले थे।’ उनके इस बयान पर असहमति जताते हुए आचार्य लोकेश मुनि समेत कुछ अन्य धर्मों के धर्म गुरु नाराज़ हो गए और कार्यक्रम बीच में छोड़कर चले गए। मौलाना मदनी ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के उस कथित बयान पर की जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमान चाहें तो अपने धर्म पर रहें या अपने पूर्वजों की तरफ लौट आएं।
मगर अरशद मदनी के बयान से लोकेश मुनि खफा हो गए और उन्होंने मंच से ही इस पर आपत्ति जताते कहा, ‘‘ आपने जो बात कही है, मैं उससे सहमत नहीं हूं और मेरे साथ सर्वधर्म के संत भी सहमत नहीं हैं। हम केवल सहमत हैं कि हम मिलजुलकर रहें, प्यार से रहें, मोहब्बत से रहें।’’ इसके बाद वे कुछ अन्य धर्मगुरुओं के साथ कार्यक्रम से चले गए। मौलाना अरशद मदनी ने जमीयत के महमूद मदनी समूह के तीन दिवसीय 34वें अधिवेशन के अंतिम दिन यहां रामलीला मैदान में कहा ‘‘मैंने बड़े बड़े धर्मगुरुओं से पूछा कि जब कोई नहीं था, न श्री राम थे, न ब्रह्मा थे, न शिव थे, जब कोई नहीं था, तब सवाल पैदा होता है कि मनु पूजते किसे थे?” उन्होंने कहा, ‘‘कोई कहता है कि शिव को पूजते थे, लेकिन उनके पास इल्म नहीं है। बहुत कम लोग ये बताते हैं कि जब कुछ नहीं था दुनिया में तो मनु ओम को पूजते थे।’’
मदनी के मुताबिक, ‘‘तब मैंने पूछा कि ओम कौन है? बहुत से लोगों ने कहा कि ये हवा है, जिसका कोई रूप नहीं है, कोई रंग नहीं है। वो दुनिया में हर जगह है, हवा हर जगह है। उन्होंने आसमान बनाया, उन्होंने ज़मीन बनाई।’’ मदनी ने कहा, ‘‘ मैंने कहा कि अरे बाबा, इन्हीं को तो हम ‘अल्लाह’ कहते हैं। इन्हीं को तो तुम ‘ईश्वर’ कहते हो। फारसी बोलने वाले ‘खुदा’ कहते हैं। अंग्रेज़ी बोलने वाले ‘गॉड’ कहते हैं। इसका मतलब ये है कि मनु यानी आदम, ओम यानी अल्लाह को पूजते थे। ये हमारे मुल्क की ताकत है।”