एक नए अध्ययन में यह पाया गया कि महामारी के दौरान लॉकडाउन ने बच्चों की पढ़ाई को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया और एक स्कूली वर्ष के दौरान बच्चों के सीखने की विशिष्ट प्रक्रिया के लगभग 35 प्रतिशत का नुकसान हुआ। यह विश्लेषण मार्च 2020 और अगस्त 2022 के बीच 15 विभिन्न उच्च और मध्यम आय वाले देशों से प्रकाशित 42 अध्ययनों पर आधारित है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पढ़ने की तुलना में गणित में बच्चों में सीखने की कमी अधिक देखी गई। यह कमी महामारी की शुरुआत से ही दिखाई दी और स्थिर बनी रही, समय के साथ न तो हालात और बिगड़े और न ही उल्लेखनीय रूप से सुधार देखने को मिला। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि स्कूल बंद होने के नकारात्मक प्रभावों को सीमित करने के उद्देश्य से की गई पहल- जैसे कि घर पर पढ़ाई के लिए ऑनलाइन शिक्षण संसाधन- बच्चों की औपचारिक शिक्षा में रुकावट के शुरुआती प्रभाव को स्थिर करने में कुछ हद तक सफल रहे।
ऐसा लगता है कि हम अभी तक बच्चों को उपलब्धि के उन स्तरों तक पहुंचने में सहायता करने के तरीके नहीं खोज पाए हैं जिनकी हम सामान्य परिस्थितियों में अपेक्षा कर सकते थे। और यह निम्न-आय वाले परिवारों के बच्चों के लिए विशेष रूप से सच है।यह अध्ययन सटन ट्रस्ट जैसे धर्मार्थ संस्थानों द्वारा महामारी में पहले व्यक्त की गई चिंताओं की पुष्टि करता है कि सीखने की प्रगति में सामाजिक आर्थिक असमानताएं बढ़ेंगी। उदाहरण के लिए, स्कूल बंद होने के दौरान ऑनलाइन सीखने में बदलाव ने कुछ बच्चों के लिए अतिरिक्त बाधाएं पैदा कीं। खासकर वहां जहां कंप्यूटर और इंटरनेट की उपलब्धता या तो नहीं थी या फिर बच्चों की उन तक सीधी पहुंच नहीं थी। शिक्षा नीति संस्थान द्वारा 2017 में किए गए एक विश्लेषण में पाया गया कि लॉकडाउन के कारण वंचित पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों और उनके धनी साथियों के बीच ज्ञान प्राप्ति के अंतर को पाटने में ब्रिटेन को 50 साल का वक्त लग जाएगा।