केजरीवाल नें जिद नहीं छोड़ी तो उठाना पड़ेगा बड़ा खामियाजा
* राष्ट्रपति शासन तक लगाया जा सकता है
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,राजनीति के चतुर खिलाड़ी अरविन्द केजरीवाल अपने बुने जाल में खुद ही फंसते नजर आ रहे हैं | हमें उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी | और होती भी कैसे दूसरों को सलाह देने वाले कानून के जानकार खुद ऐसी जिद्द पर अड़े है जो पूरी होनी सम्भव नहीं है | आपको मालुम ही है वे जिद्द पर अड़े हैं जेल से सरकार चलायेगें | हालांकि कानून के तहत जेल जाने के बाद मुख्यमंत्री पद से ईस्तीफा देने की जरूरत नहीं है | लेकिन जेल से सरकार चलाने की इजाजत न तो कानून ही देगा और ना ही सिस्टम | और जब उन्हें यह अनुमति मिलनी नहीं फिर इस्तीफ़ा देने में देरी क्यों की जा रही है | क्या वे अपनी बर्खास्तगी कराना चाहते है और किसी बड़ी सिम्पेथी की उम्मीद पाले है | लेकिन उन्हें यह समझ लेना चाहिए उनके सामने भी कोई कबड्डी के खिलाडीम नहीं है वे भी शतरंजी चाल चलने में महारथी है |और तुम डाल डाल तो वे पात-पात | पूरा सिस्टम उनका है | अरविन्द के ईस्तीफा नहीं देने पर सवैधानिक व्यवस्था का हवाला दे ना केवल उन्हें मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त करने का अधिकार सरकार के पास है बल्कि राष्ट्रपति शासन का हथियार भी उनके पास है | और उसके बाद जरूरी भीं नहीं कि अरविन्द की गैर मौजूदगी में पार्टी विधायकों का कुनबा एकजुट रहे | अरविन्द केजरीवाल को यह समझ लेना चाहिए एक या दो विधायकों के बलबूते ही भाजपा कम से कम दो बार इस मुल्क में अपनी सरकार बनाने का करिश्मा दिखा चुकी है और यहाँ तो आठ है | अरविन्द को नजदीक से जानने वाले बताते हैं उन्हें अपने अलावा किसी और पर भरोसा नहीं रहता लेकिन डूबता तैरॉक ही है ,यह भी उन्हें समझ लेना चाहिए | किसी विधायक पर भरोसा नहीं है तो बनवा दीजिये सुनीता केजरीवाल को विधायक दल का नेता सरकार भी अपनी रहेगी पार्टी पर भी कमान रहेगी | वैसे आज रिमांड से उन्होंने देश की जनता के नाम जो भावुक संदेश भेजा था उसे सुनीता नें ही पढ़ा और वो भी अरविन्द की कुर्सी पर बैठ कर | समझ गए ना आप कुर्सी किसका इन्तजार कर रही है | आज बस इतना ही …