भाकपा माले के MLA मनोज मंजिल समेत 23 को उम्रकैद की सजा, खत्म हो सकती है विधायकी

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भाकपा माले के MLA मनोज मंजिल समेत 23 को उम्रकैद की सजा, खत्म हो सकती है विधायकी

20 अगस्त को हुई माले नेता सतीश यादव की हत्या हुई थी. विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि फंसाया गया है. राजनीतिक साजिश है. हम हाई कोर्ट में अपील करेंगे.

अगिआंव से सीपीआई (एमएल) के विधायक मनोज मंजिल समेत 23 आरोपितों को आरा कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. मंगलवार (13 फरवरी) को कोर्ट ने ये अहम फैसला सुनाया है. अगस्त 2015 में भोजपुर के बड़गांव में जय प्रकाश सिंह की हत्या के मामले में यह फैसला सुनाया गया है. इस हत्याकांड में आरोपियों को उम्रकैद के साथ-साथ 25 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है. अब मनोज मंजिल की विधायकी पर खतरा मंडरा रहा है.

हत्या के इस मामले में आरा सिविल कोर्ट एडीजे 3 की ओर से यह सजा सुनाई गई है. विधायक को सजा की खबर मिलने के बाद आरा कोर्ट में उनके सैकड़ों समर्थक पहुंचे. साथ में तरारी से माले विधायक सुदामा प्रसाद भी विधायक मनोज मंजिल से मिलने पहुंचे. इस मामले में विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि फंसाया गया है. राजनीतिक साजिश है. हम हाई कोर्ट में अपील करेंगे.

क्या है पूरा मामला?

अजीमाबाद थाना क्षेत्र के बड़गांव में 20 अगस्त को हुई माले नेता सतीश यादव की हत्या के सप्ताह भर बाद चौरी थाना क्षेत्र के बेरथ पुल के समीप नहर किनारे से एक शव बरामद किया गया था. शव बरामद किए जाने के बाद उसकी शिनाख्त नहीं हो पाई थी. बाद में आरा सदर अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम कराए जाने के दौरान जेपी सिंह के पुत्र चंदन ने उस उसकी शिनाख्त अपने पिता के रूप में की थी. इस बात की पुष्टि के लिए पुलिस शव की एफएसएल जांच के लिए पटना भेज दिया था, जिस रिपोर्ट का इंतजार पुलिस अब तक कर रही है. इस बीच इस मामले में जेपी सिंह के पुत्र के बयान पर 24 नामजदों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

सुदामा प्रसाद ने सरकार पर लगाए आरोप

वहीं अपने साथी विधायक के न्यायालय द्वारा सजा सुनाने पर तरारी से माले विधायक सुदामा प्रसाद ने बिहार की नई सरकार पर हमला बोला. कहा कि ऐसे केस में सजा हुई है जिसमें अभी तक बॉडी भी बरामद नहीं हुई है. जिनके अपहरण या हत्या की बात हो रही तो अभी फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट में यह बात साबित नहीं हुई कि यह उन्हीं (जय प्रकाश सिंह) की डेड बॉडी है जो जिसे पुलिस ने पेश किया था. कहा कि कल जिस तरह से सरकार ने विश्वास मत हासिल किया, कहा जाए कि विरोधी दल के तीन-तीन विधायकों को पुलिस के जरिए उठा लिया गया. पूरा प्रशासन मिला हुआ था. नौकरशाही के जरिए इस बार की सरकार बनाई गई है.

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