राज्य आबादी के आधार पर हिंदुओं को भी दे सकते हैं अल्पसंख्यक का दर्जा, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने दाखिल किया हलफनामा

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राज्य आबादी के आधार पर हिंदुओं को भी दे सकते हैं अल्पसंख्यक का दर्जा, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने दाखिल किया हलफनामा
राज्य आबादी के आधार पर हिंदुओं को भी दे सकते हैं अल्पसंख्यक का दर्जा, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने दाखिल किया हलफनामा

राज्य आबादी के आधार पर हिंदुओं को भी दे सकते हैं अल्पसंख्यक का दर्जा, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने दाखिल किया हलफनामा

केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि राज्य अपने यहां जनसंख्या के आधार पर हिंदुओं को भी अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दे सकते हैं। जनसंख्या, धार्मिक और भाषाई आधार पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने और उसको लेकर दिशानिर्देश तय करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल कर यह बात कही है। इस मामले में अब सुनवाई 10 मई को होगी।

कोर्ट उन्हें हलफनामा पढ़ने और बहस करने के लिए कुछ समय दे।

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियिम, 1992 के तहत अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने की केंद्र सरकार की शक्ति के खिलाफ एक याचिका पर स्पष्ट जवाब देने के लिए केंद्र को और समय दिया। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से समय मांगते हुए कहा था कि उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से दाखिल किया गया हलफनामा अभी पढ़ा नहीं है। कोर्ट उन्हें हलफनामा पढ़ने और बहस करने के लिए कुछ समय दे।

सालिसिटर जनरल ने अभी उसे पढ़ा नहीं है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की तरफ से दाखिल हलफनामा तो आज अखबारों में छपा है और सालिसिटर जनरल ने अभी उसे पढ़ा नहीं है। इस पर मेहता ने कहा कि कुछ जनहित याचिकाओं के दस्तावेज ला आफिसर तक पहुंचने से पहले मीडिया तक पहुंच जाते हैं। कोर्ट ने मेहता को चार हफ्ते का समय देते हुए कहा कि मामले में दाखिल अन्य अर्जियों का भी केंद्र सरकार तब तक जवाब दाखिल कर दे। इसके बाद दो सप्ताह का समय याचिकाकर्ता को प्रतिउत्तर दाखिल करने के लिए देते हुए मामले को 10 मई को सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।

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