भागवत में समुद्र मंथन तथा कृष्ण जन्म का वृतांत सुन श्रद्धालु हुए भाव विहोर, नेहरु नगर में भागवत सुनने के लिए जुट रहे हैं श्रद्धालु
नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : श्री सनातन धर्म मन्दिर ब्लाक 2 नेहरु नगर में भागवत कथा के तहत गजेन्द्र मोक्ष ,समुन्द्र मंथन तथा कृष्ण जन्म की लीला का गुणगान किया गया भागवत का गुणगान कथावाचक पंडित अशोक दीक्षित नें अपनी मधुर वाणी से किया जिसे सुन श्रोता भावविहोर हो गए | नेहरु नगर मन्दिर के प्रधान प्रसिद्ध समाजसेवी विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्त उपाध्यक्ष राजीव साहनी मन्दिर के कार्यकारी मंत्री तथा विश्व हिन्दू परिषद के जिला अध्यक्ष लाजपत नगर कर्ण कपूर नें बताया भागवत सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग मन्दिर प्रांगण में पधार रहे हैं | श्रद्धालु प्रभु की भक्ति में इतने लीन हो जाते हैं कि कथा सुनते सुनते भाव विहोर हो भजनों पर झूमने लगते है | अशोक दीक्षित नें गजेन्द्र मोक्ष के बारे में विस्तार से बताया एक समय की बात है, त्रिकूट पर्वत पर गजेंद्र नामक एक शक्तिशाली हाथी अपने परिवार के साथ जलाशय में स्नान कर रहा था। अचानक, एक विशाल मगरमच्छ ने गजेंद्र के पैर को पकड़ लिया और उसे गहरे पानी में खींचने लगा। गजेंद्र ने अपनी पूरी शक्ति से संघर्ष किया, लेकिन मगरमच्छ की पकड़ मजबूत थी। जब गजेंद्र को एहसास हुआ कि वह अपनी शक्ति से बच नहीं सकता, तब उसने भगवान विष्णु का ध्यान किया और अपनी सूंड में एक कमल का फूल लेकर उनकी स्तुति की। उसने गजेंद्र स्तोत्र का उच्चारण किया और अपनी पूरी श्रद्धा से भगवान को पुकारा।

उसकी भक्ति और समर्पण को देखकर भगवान विष्णु तुरंत गरुड़ पर सवार होकर आए और अपने सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का वध कर दिया। गजेंद्र को संकट से मुक्त कराकर भगवान ने उसे मोक्ष प्रदान किया। समुन्पौद्रार मंथन पर प्रकाश डालते हुए बताया गया समुद्र मंथन देवताओं और असुरों द्वारा मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए किया गया था, ताकि देवता फिर से शक्तिशाली हो सकें, क्योंकि एक बार दुर्वासा ऋषि के श्राप के कारण स्वर्ग लक्ष्मी से हीन हो गया था. फिर भगवान विष्णु ने ही देवताओं और असुरों को मिलकर समुद्र मंथन करने का सुझाव दिया था और इस प्रक्रिया से देवी लक्ष्मी सहित चौदह बहुमूल्य रत्न निकले थे | कृष्ण जन्म की लीला पर मौजूद ज्यादातर लोग भाव विभोर हो गए उन्होंने बताया कि जब पृथ्वी पर पाप का बोझ बढ़ जाता है, तब धर्म की रक्षा के लिए भगवान अवतार लेते हैं। विष्णु भगवान ने स्वयं कृष्ण के रूप में अवतार लिया।



