जैन समाज का अनंत चतुर्दशी पर्व आत्मा की शुद्धि, संयम और क्षमा का संदेश 

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अनंत चतुर्दशी पर्व
जैन समाज का अनंत चतुर्दशी पर्व आत्मा की शुद्धि, संयम और क्षमा का संदेश 

जैन समाज का अनंत चतुर्दशी पर्व आत्मा की शुद्धि, संयम और क्षमा का संदेश 

–  विनीत जैन –

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़  ) : अनंत  चतुर्दशी का पावन पर्व जैन समाज की आस्था और साधना का प्रतीक है। यह पर्व आत्मा की शुद्धि, संयम, करुणा और क्षमा जैसे उच्च आदर्शों को जीवन में उतारने का अवसर प्रदान करता है। जैन धर्मग्रंथों में वर्णित है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत साधक आत्मा को पाप कर्मों से मुक्त करने और मोक्षमार्ग पर अग्रसर करने वाला है। इसी कारण जैन परंपरा में यह दिवस विशेष रूप से पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। आज देशभर के जैन मंदिरों में यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और तपस्या के साथ मनाया गया।

मंदिरों में विशेष पूजन, प्रवचन और सामूहिक आराधना का आयोजन हुआ। अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास और तप करके आत्मा की शुद्धि का संकल्प लिया। समाज के विभिन्न स्थलों पर धार्मिक यात्राएँ और सामूहिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जिनमें धर्मप्रेमी जनों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।  “अनंत चतुर्दशी केवल धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि आत्मा की अनंत शक्तियों को पहचानने का अवसर है। अरिहंत देव की वंदना इस दिन का प्रमुख केंद्र है। अरिहंत वे महापुरुष हैं जिन्होंने मोह, राग-द्वेष और कर्मबंधन पर विजय प्राप्त की। उनके उपदेश हमें सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र की ओर मार्गदर्शन करते हैं।”

अनंत चतुर्दशी का पर्व हमें यह भी याद दिलाता है कि सांसारिक वस्तुएँ और भौतिक सुख क्षणभंगुर हैं, जबकि आत्मा का आनंद अनंत और शाश्वत है। यही कारण है कि इस अवसर पर उपवास, तपस्या और आत्मचिंतन का विशेष महत्व है। पर्युषण और दशलक्षण महापर्व का समापन भी इसी कालखंड में होता है, जब जैन समाज क्षमा-याचना कर जीवन को धर्ममय बनाने का संकल्प लेता है। यह परंपरा आज भी समाज को सौहार्द और भाईचारे की राह दिखाती है। कल क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा, जब जैन समाज एक-दूसरे से क्षमा माँगकर जीवन को शुद्ध और सौहार्दपूर्ण बनाने का संकल्प लेगा। यह पर्व हमें सिखाता है कि मन, वचन और कर्म से हुई गलतियों के लिए क्षमा माँगना और क्षमा करना ही वास्तविक धर्म है।  “जैन धर्म के सिद्धांत केवल धार्मिक मर्यादाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि मानवता और राष्ट्र निर्माण के लिए भी उतने ही प्रासंगिक हैं। अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य और करुणा जैसे आदर्शों को अपनाकर ही हम अपने समाज को सशक्त और समरस बना सकते हैं। जब हम क्षमा और संयम का अभ्यास करते हैं, तो न केवल व्यक्तिगत जीवन में शांति आती है, बल्कि सामाजिक सौहार्द भी बढ़ता है।”

आज भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर है। इस यात्रा में हमें अपनी आध्यात्मिक विरासत से शक्ति प्राप्त करनी होगी। जैन धर्म का अहिंसा का सिद्धांत केवल धार्मिक शिक्षा नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और सहयोग की आधारशिला है। यदि हम अहिंसा और क्षमा की भावना को व्यवहार में उतार लें, तो विश्व में संघर्ष और वैमनस्य की जगह सहयोग और सौहार्द स्थापित होगा। शाहदरा जिला में जैन समाज की उपस्थिति और योगदान विशेष महत्व रखते हैं। यहाँ के श्रावक-श्राविकाएँ सदैव धर्म, संस्कृति और सेवा कार्यों में अग्रणी रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजसेवा के क्षेत्र में जैन समाज ने अनुकरणीय योगदान दिया है। अनंत चतुर्दशी का यह पर्व हमें अपनी विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाने और धर्ममूल्यों को जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है। विनीत जैन ने कहा कि “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि धर्म केवल पूजा-अर्चना तक सीमित न रहे। धर्म तब सार्थक होगा जब वह हमारे व्यवहार और आचरण में परिलक्षित होगा। सत्य, अहिंसा, संयम और करुणा को जीवन का अंग बनाकर ही हम समाज और राष्ट्र को सशक्त बना सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि अनंत चतुर्दशी हमें चार प्रमुख संकल्पों की ओर प्रेरित करती है |

जीवन को धर्ममय बनाने का संकल्प, क्षमा, करुणा और सद्भावना को व्यवहार में उतारना, समाज में शांति और भाईचारे का प्रसार करना, नई पीढ़ी को धर्म और संस्कृति से जोड़ना। इस अवसर पर जैन मंदिरों में प्रवचनों का आयोजन हुआ, जिनमें आचार्यों और मुनियों ने धर्ममूल्यों को जीवन में अपनाने का आह्वान किया। अनेक स्थानों पर सामूहिक उपवास और विशेष अनुष्ठान आयोजित किए गए। श्रद्धालुओं ने बड़ी आस्था और उत्साह के साथ कार्यक्रमों में भाग लिया। अंत में, भारतीय जनता पार्टी, शाहदरा जिला के मीडिया प्रभारी विनीत जैन ने समस्त जैन समाज और नागरिकों को अनंत चतुर्दशी की मंगलकामनाएँ देते हुए कहा कि “अरिहंत देव की अनंत कृपा से समाज में शांति, समृद्धि और सद्गुणों का प्रसार हो। यह पर्व हमें आत्मा की शक्ति को पहचानने और मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर होने का अवसर प्रदान करता है। हम सब मिलकर धर्म मूल्यों के साथ समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाएँ।

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