पटाखों पर पाबंदी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया निर्मल गुप्ता नें, पाबंदी लगानी है तो पूरे देश में लगे
नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : जब हम एक देश एक संविधान की बात करते हैं और है भी ऐसा तो केवल एनसीआर में ही पटाखों पर पाबंदी की चर्चा या आदेश क्यों दिए जाते है यह पाबंदी यदि करनी है तो पूरे देश में ही होनी चाहिए | यह कहना है आर.डब्लू.ए.विवेक विहार के निर्मल गुप्ता का | निर्मल गुप्ता कहते हैं माननीय सुप्रीम कोर्ट नें जो टिप्पणी इस बाबत की है तर्कों के आधार पर है और उसका स्वागत तो किया ही जाना चाहिए साथ ही पालन भी होना चाहिए | उल्लेखनीय है सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली में पटाखों को बैन करने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, प्रदूषण रोकने की नीति सिर्फ दिल्ली के लोगों के लिए नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि दिल्ली के लोग देश के खास नागरिक हैं इसलिए सिर्फ उनके लिए नियम बने। कोर्ट की यह टिप्पणी उस याचिका पर आई है, जिसमें दिल्ली में पटाखों पर बैन लाने वाले आदेश को चुनौती दी गई है। हालांकि प्रदूषण को लेकर अदालत की इस तरह की टिप्पणी पहली बार नहीं है, अदालतें पहले भी प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त कर चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा, यदि दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों को स्वच्छ हवा का अधिकार है, तो देश के दूसरे शहरों के लोगों को भी यह अधिकार है | उन्होंने कहा, जो भी नियम बने वह पूरे देश के लिए होने चाहिए। न कि सिर्फ एलीट क्लास के लिए। निर्मल गुप्ता कहते हैं जहां तक प्रदूषण का सवाल है एनसीआर के अलावा भी देश में कई सतह ऐसे हैं जहां प्रदूषण का स्तर खतरनाक रहता है | निर्मल गुप्ता कहते हैं माननीय चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सुनवाई के दौरान हवाला देते हुए कहा, मैं पिछले वर्ष सर्दियों में अमृतसर गया था, वहां पर प्रदूषण दिल्ली से भी ज्यादा था। उन्होंने कहा, अगर पटाखे बैन करने हैं, तो पूरे देश में होने चाहिए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ये बात 3 अप्रैल के उस आदेश के खिलाफ सुनवाई करते हुए कही, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बेचने, रखने, लाने ले जाने और बनाने पर रोक लगाई गई थी।



